New EV policy : टेस्ला की भारत में एंट्री से पहले सरकार नई EV पॉलिसी को नोटिफाई कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इंपोर्टेड EV की इंपोर्ट ड्यूटी 110 पीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर सकती है। इस खबर पर पूरी जानकारी देने के साथ ही। यहां हम इस बात की भी जांच पड़ताल करेंगे की दुनिया में EV को लेकर क्या पॉलिसी है और भारत में ग्लोबल दिग्गजों के आने स हमारी घरेलू कंपनियों पर क्या असर पड़ सकता है। लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि नई EV पॉलिसी को लेकर क्या तैयारी है।
नई EV पॉलिसी की तैयारी!
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की नई EV पॉलिसी लाने की तैयारी में है। नई पॉलिसी मार्च में तक आ सकती है। सूत्रों के मुताबिक नई पॉलिसी में ईवी इंपोर्ट ड्यूटी 110 फीसदी से घटकर 15 फीसदी हो सकती है। टेस्ला जैसी कंपनियों को इंपोर्ट ड्यूटी में राहत संभव है। कई शर्तों के साथ इंपोर्ट ड्यूटी में ये राहत संभव है। कंपनियों को इसके लिए 120 दिनों में अर्जी देनी होगी। नई पॉलिसी के तरह कम ड्यूटी (15 फीसदी) पर सालाना 8000 प्रीमियम EVs के इंपोर्ट की इजाजत संभव होगी। 35,000 डॉलर से ज्यादा कीमत वाली EVs का इंपोर्ट होगा।
क्या हो सकती हैं शर्तें?
विदेशी कंपनी को देश में कम से कम 500 अरब डॉलर के निवेश का कमिटमेंट करना होगा। स्थापना के दूसरे साल कंपनी का टर्नओवर कम से कम 2500 करोड़ रुपए होना चाहिए। कम से कम 4150 करोड़ रुपए का निवेश होना जरूरी है। मौजूदा फैक्ट्री में असेंबली लाइन लगाई जा सकती है। लेकिन इसमें पुराने निवेश, जमीन/बिल्डिंग की लागत शामिल नहीं होगी। चौथे साल में 5,000 करोड़ रुपए और पांचवे साल में 7,500 करोड़ रुपए का टर्नओवर जरूरी होगा। तीन साल में मैन्यफैक्चरिंग सुविधाएं ऑपरेशनल करनी होंगी। तीन साल में 25 फीसदी और 5 साल में 50 फीसदी घरेलू वैल्यू एडिशन करना होगा।
क्या हो दूसरे देशों की EV पॉलिसी
भारत में ही नहीं दुनिया में EVs का बोलबाला है। दुनिया के बड़े देश कैसे EV को रफ्तार दे रहे हैं, क्या है बड़े देशों की पॉलिसी, आइए इसको भी समझने की कोशिश करते हैं। लेकिन पहले बात कर लेते हैं। दुनिया में EV के रफ्तार की। साल 2024 में हर 4 में से बिकी 1 गाड़ी इलेक्ट्रिक की थी। 5 साल पहले ये आंकड़ा 40 गाड़ियों में से 1 का था। SBI Cap का कहना है कि वित्त वर्ष 2030 तक EVs की हिस्सेदारी कंपनियों की आय में 30-35 फीसदी होगी। दुनिया में EV की हिस्सेदारी की बात करें को इसमें चाइना की 48 फीसदी, EU की 21 फीसदी, US की 11 फीसदी और अन्य की 20 फीसदी हिस्सेदारी है। ज्यादातर बड़े बाजार में टेस्ला और BYD का कब्जा है।
चीन में EV पॉलिसी
चीन में EV व्हीकल को टैक्स से राहत मिलती है। EV अपनाने पर इनसेंटिव्स भी मिलता है। बैटरी पार्ट रिप्लेसमेंट पर भी इनसेंटिव्स मिलता है।
EU में EV पॉलिसी
EU के हर देश में अलग-अलग इनसेंटिव्स है। ज्यादातर देशों में फ्री पार्किंग का ऑफर मिलता है।
अमेरिका में EV पॉलिसी
अमेरिका में राज्यों के स्तर पर टैक्स छूट और सब्सिडी मिलती है। केंद्र के स्तर पर कोई राहत नहीं मिलती। देश में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में टैक्स क्रेडिट मिलता है।
भारत में EV पॉलिसी
भारत में ईवी पॉलिसी पर नजर डालें तो ऑटो कंपोनेंट्स और बैटरी सेक्टर में PLI स्कीम चालू है। कुछ राज्यों में 1 लाख रुपए प्रति व्हीकल की राहत मिलती है। FAME-II स्कीम में 16.15 लाख EV को इनसेंटिव्स मिला है।
नई EV पॉलिटी का भारतीय ऑटो सेक्टर पर क्या होगा असर?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि नई EV पॉलिटी का भारतीय ऑटो सेक्टर पर बुरा असर पड़ेगा। Helios India के CEO दिनशॉ ईरानी के मुताबिक अब प्रीमियम सेगमेंट के ऑटो पर भी दबाव देखने को मिल सकता है। टेस्ला से ज्यादा बड़ा चीन का कंपीटिशन है। चीन से कंपीटिशन का ऑटो पर असर होगा। ऑटो में प्रीमियम सेगमेंट में ही अच्छी ग्रोथ थी। एंट्री लेवल सेगमेंट में ग्रोथ सपाट थी। नई प़ॉलिसी स प्रीमियम सेगमेंट में दबाव बढ़ने की आशंका है। इससे ऑटो शेयरों के वैल्युएशन में कमी आएगी
मार्कट एक्सपर्ट के नीरज दीवान के मुताबिक ट्रंप टैरिफ से ऑटो में गिरावट आती है तो यह निचले स्तर से खरीदने का अच्छा मौका होगा। ट्रंप टैरिफ से ऑटो शेयरों में शॉर्ट टर्म गिरावट संभव है। ऑटो शेयरों में गिरावट एंट्री का अच्छा मौका होगा। ऑटो शेयरों के वैल्युएशन काफी महंगे हो गए थे। बजट में टैक्स कट से ऑटो सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।
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