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Smallcap Stocks: मंदी की चपेट में स्मॉलकैप शेयर

 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली, महंगे मूल्यांकनों की चिंता और कंपनियों की आय के कमजोर परिदृश्य के कारण मंगलवार को स्मॉलकैप शेयरों में फिर गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी में कम ही गिरावट आई जबकि निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में 1.6 फीसदी की फिसलन आई। 12 दिसंबर के अपने शिखर से निफ्टी स्मॉल कैप 100 में अब तक 23 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। जब कोई शेयर या इंडेक्स अपने शिखर से 20 फीसदी से अधिक गिर जाता है तो उसे मंदी के दौर में पहुंचने वाला माना जाता है।

बिकवाली के कारण स्मॉलकैप इंडेक्स के कई शेयरों में तेज गिरावट आई है। सालाना आधार पर सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले शेयरों में केन्स टेक्नोलॉजी (45 फीसदी की गिरावट), स्टर्लिंग ऐंड विल्सन (42.4 फीसदी), केईसी इंटरनैशनल (39.12 फीसदी ) और जुपिटर वैगन्स (38.7 फीसदी ) शामिल हैं।

अक्टूबर से ही सितंबर और दिसंबर तिमाहियों में कंपनियों की आय निराशाजनक रहने के कारण बाजार दबाव में हैं। विश्लेषक आय में आई इस गिरावट का कारण भारत की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को मानते हैं, जो उपभोग मांग में निरंतर मंदी, सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी और कमजोर होते रुपये के कारण है। एमके ने निवेशकों को लिखे एक नोट में कहा है कि दिसंबर तिमाही में आय का सीजन निराशाजनक रहा। इसमें निफ्टी और बीएसई 500 में एक अंक में लाभ बढ़ा। इससे डाउनग्रेड का एक और दौर शुरू हो गया। हालांकि अक्टूबर 2024 की तुलना में यह कम गंभीर है। हमें उम्मीद है कि इस पूरी तिमाही में बाजार दबाव में रहेगा।

एफपीआई की आक्रामक बिकवाली (जो शुरू में चीन में प्रोत्साहन उपायों और बाद में अमेरिकी नीतिगत बदलावों में चिंताओं के बीच अमेरिकी बाजार के आकर्षण के कारण हुई) ने स्मॉल कैप में बिकवाली में और इजाफा कर दिया है। हालांकि स्मॉल कैप में एफपीआई का निवेश कम है, लेकिन बिकवाली ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है और निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया है। एक महीने को छोड़ दें तो अक्टूबर से एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे हैं। 2025 में एफपीआई ने घरेलू इक्विटी से 1.06 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। घरेलू निवेशक खरीदारी न करते तो बिक्री का असर और गंभीर हो सकता था। निकट भविष्य में भी एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है।

कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि उभरते बाजारों (ईएम) के लिए चुनौतीपूर्ण वैश्विक निवेश माहौल को देखते हुए एफपीआई सतर्क रुख बरकरार रख सकते हैं। कोटक के नोट में कहा गया है कि भारतीय बाजार फीका रह सकता है जिस पर विभिन्न सेक्टरों और शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन, आय में संभावित गिरावट और लंबी अवधि में ऊंची वैश्विक ब्याज दरों का असर पड़ सकता है।

बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि स्मॉलकैप में बिकवाली जारी रहने की संभावना है और निवेशकों को सावधानी से ट्रेड करना चाहिए। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि जब तक उन्हें कंपनी की गहरी समझ न हो, निवेशकों के लिए इस समय स्मॉलकैप से दूर रहना ही बेहतर है। स्मॉलॉकैप का मूल्यांकन लार्जकैप की तुलना में कम होना चाहिए और जब तक यह नरमी नहीं आती तब तक बिकवाली का दबाव जारी रहने की संभावना है।

गिरावट के बावजूद निफ्टी स्मॉल कैप 100 का मूल्यांकन अपने दीर्घावधि औसत से ऊपर बना हुआ है और लार्ज कैप के मुकाबले प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी स्मॉल कैप 100 अभी एक साल आगे के 20.4 गुना पीई पर कारोबार कर रहा है जबकि इसका 10 साल का औसत 18.5 गुना है। सेंसेक्स और निफ्टी एक साल आगे की आय के क्रमशः 19.5 गुना और 19 गुना पर कारोबार कर रहे हैं जो उनके दीर्घावधि औसत से नीचे है।

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