Smallcap, Midcap Stocks: भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है, और इसका सबसे ज्यादा असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर देखने को मिल रहा है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स आज 17 फरवरी को शुरुआती कारोबार में लगभग 2% तक लुढ़क गए। सुबह 10:45 बजे, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 1.6 फीसदी नीचे था, जबकि निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1.1 फीसदी गिरकर कारोबार कर रहा था। इसके मुकाबले बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स सिर्फ आधा फीसदी की गिरावट आई और यह 22,842.80 पर कारोबार कर रहा था।
एक्सपर्ट्स पिछले काफी समय से मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स के ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर चेतावनी दे रहे थे, लेकिन रिटेल निवेशकों ने इस चेतावनी को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया। एनालिस्ट्स ने कहा कि बाजार में भारी तेजी के बाद करेक्शन आना तय था, और अब इसका असर दिख रहा है।
निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में उसके रिकॉर्ड हाई से 18.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स अपने शिखर से 22 प्रतिशत नीचे आ चुका है, जिससे यह बियर मार्केट (Bear Market) में प्रवेश कर चुका है। इस गिरावट के चलते लगभग ₹17 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है, जिससे निवेशकों के पोर्टफोलियो इस समय गहरे लाल निशान में हैं।
क्यों आ रही है गिरावट?
मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारतीय सामानों पर “रेसिप्रोकल टैरिफ” यानी ‘जैसे को तैसा टैक्स’लगाने का ऐलान किया, जिसके बाद इन शेयरों पर बिकवाली का दबाव और बढ़ गया। इसके अलावा ICICI प्रूडेंशियल एएमसी के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर,एस नरेन ने हाल ही निवेशकों को मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स से पूरा पैसा बाहर निकालने और SIP रोकने की सलाह दी, जिसने निवेशकों के मनोबल को और कमजोर कर दिया।
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज के इंडिया रिसर्च हेड, अमीश शाह का कहना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की वैल्यूएशन अभी भी ज्यादा है और आगे भी गिरावट की आशंका बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लार्जकैप शेयरों की तुलना में स्मॉल-मिडकैप शेयरों का रिटर्न कमजोर या नेगेटिव में रह सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एनालिस्ट्स ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाजार में डायवर्सिफिकेशन देखने को मिल सकता है। जहां लार्ज-कैप स्टॉक्स सीमित दायरे में रह सकते हैं, वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।” ब्रोकरेज ने कहा कि अब आगे बाजार को स्टॉक्स के नए फेयर वैल्यू मल्टीपल और कंपनियों की वास्तविक आय के हिसाब से एडजस्ट करने की जरूरत है।
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