तीन प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश- में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका के कारण मंगलवार के कारोबारी सत्र में बीएसई पर चीनी कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी तक की उछाल आई। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का चीनी उत्पादन इस सीजन में अभी तक 16.13 फीसदी घटकर 2.37 करोड़ टन रह गया है।
इस बीच, नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) ने अनुमान लगाया है कि 2024-25 के चालू सीजन में देश का कुल चीनी उत्पादन पिछले सीजन के 3.19 करोड़ टन से कम होकर 2.59 करोड़ टन रह सकता है। यह एक अन्य उद्योग संस्था – इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के जारी आंकड़ों से अलग है जिसका सीजन के लिए पहला अनुमान 2.722 करोड़ टन था।
एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन चालू सीजन में 15 मार्च तक घटकर 78.6 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले यह 1.00 करोड़ टन था। उत्तम शुगर मिल्स के शेयर बीएसई पर 20 प्रतिशत ऊपरी सर्किट के साथ 230.75 रुपये पर बंद हुए। इसकी वजह इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च का वहअनुमान रहा जिसमें कहा गया था कि कंपनी एबिटा वित्त वर्ष 26 में ठीक होने की संभावना है और इसे चीनी और एथेनॉल की बिक्री में इजाफे, चीनी की कीमतों में तेजी के साथ-साथ परिचालन दक्षता में सुधार के लिए पूंजीगत खर्च से मदद मिलेगी।
रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, वित्त वर्ष 2025 के पहले नौ महीने में एथेनॉल की बिक्री 4.55 करोड़ लीटर (वित्त वर्ष 2024 की समान अवधि में 4.68 करोड़ लीटर) पर स्थिर रही। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2025 के पहले दो चक्रों में आवंटन काफी अधिक है, जो सरकार द्वारा चीनी को एथेनॉल में बदलने पर लगे प्रतिबंध हटाने के बाद फिर से सुधार का संकेत देता है।
हालांकि कम रिकवरी की वजह से वित्त वर्ष 25 में उत्पादन में कमी आ सकती है, लेकिन इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि कम चीनी बिक्री को देखते हुए शुद्ध कार्यशील पूंजी पर असर होगा। इसके साथ ही कम एबिटा की वजह से वित्त वर्ष 25 में शुद्ध लेवरेज में वृद्धि हो सकती है। इन्वेंट्री में धीरे-धीरे कमी और एबिटा में रिकवरी के साथ वित्त वर्ष 26 में शुद्ध लेवरेज में सुधार की संभावना है।
वैयक्तिक शेयरों की बात करें तो कारोबारी सत्र के दौरान मगध शुगर ऐंड एनर्जी 14 फीसदी बढ़कर 585 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके बाद अवध शुगर ऐंड एनर्जी (10 फीसदी बढ़कर 429.5 रुपये), डालमिया भारत शुगर ऐंड इंडस्ट्रीज (9 फीसदी बढ़कर 344.50 रुपये), मवाना शुगर्स (7 फीसदी बढ़कर 89.2 रुपये), द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज (7 फीसदी बढ़कर 39.2 रुपये), श्री रेणुका शुगर्स (5 फीसदी बढ़कर 28.6 रुपये), त्रिवेणी इंजीनियरिंग (5 फीसदी बढ़कर 386.3 रुपये) और बलरामपुर चीनी मिल्स (6.7 फीसदी बढ़कर 509.6 रुपये) का स्थान रहा।
इसकी तुलना में बीएसई सेंसेक्स का कारोबारी सत्र के दौरान उच्चतम स्तर 1.6 फीसदी की बढ़त के साथ 75,385 रहा। चीनी की धीमी रिकवरी को देखते हुए चीनी सीजन 2025 में भारत का चीनी उत्पादन पिछले अनुमान के साथ-साथ सालाना उत्पादन के मुकाबले कम रहने की संभावना है। उच्च स्थिर लागत की भरपाई के लिए चीनी मिलें कीमतें बढ़ा रही हैं। मार्च तिमाही में अब तक प्रमुख राज्यों में चीनी की कीमतें तिमाही आधार पर 7 से 9 फीसदी बढ़ी हैं। लिहाजा, जेएम फाइनैंशियल इंस्टिट्यूशनल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में चीनी खंड में लाभप्रदता मजबूत रहने की संभावना है। ब्रोकरेज के विश्लेषकों के अनुसार ये चीनी मिलें इन ऊंचे स्तरों पर डिस्टिलरी डिविजन को एथेनॉल स्थानांतरित करेंगी।
