Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के अंत तक अमेरिका ने भारत और तुर्की की छह रिफाइनरियों से 2.8 बिलियन यूरो का परिष्कृत तेल आयात किया, जिसमें से अनुमानित 1.3 बिलियन यूरो रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत किया गया था।
जामनगर (गुजरात) स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज की दोहरी तेल रिफाइनरियों से अमेरिका को 2 बिलियन यूरो मूल्य का ईंधन निर्यात किया गया, जिसमें से 724 मिलियन यूरो का ईंधन रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत होने का अनुमान है। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन इन प्रतिबंधों में रूसी कच्चे तेल की खरीद और उससे बने डीजल जैसे ईंधनों के निर्यात पर रोक नहीं थी।
Nyara Energy, मैंगलुरु रिफाइनरी ने भी किया कारोबार
वडीनार (गुजरात) स्थित नयारा एनर्जी (जो रूसी कंपनी रोज़नेफ्ट द्वारा संचालित है) ने 184 मिलियन यूरो मूल्य का ईंधन अमेरिका को निर्यात किया, जिसमें से 124 मिलियन यूरो रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत किया गया था।
नई मेंगलुरु (MRPL) से अमेरिका को 42 मिलियन यूरो मूल्य का ईंधन भेजा गया, जिसमें से 22 मिलियन यूरो रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत किया गया था।
तुर्की से अमेरिकी ईंधन आयात:
तुर्की की तीन रिफाइनरियों ने अमेरिका को कुल 616 मिलियन यूरो मूल्य का ईंधन निर्यात किया, जिसमें से 545 मिलियन यूरो का ईंधन रूसी कच्चे तेल से बना था। CREA की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और तुर्की के माध्यम से अमेरिका को भेजे गए ईंधन पर रूस ने 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर के रूप में कमाए।
रूस-यूक्रेन युध्द के समय रूसी तेल से चल रहीं थीं अमेरिकन्स की कारें
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिका द्वारा आयात किया गया 294 मिलियन यूरो मूल्य का पेट्रोल अमेरिकी कारों में इस्तेमाल हुआ। अनुमान के मुताबिक, इस पेट्रोल से फ्लोरिडा की लगभग हर कार की टंकी भरी जा सकती है।
रूस की सरकार के कुल बजट का एक तिहाई हिस्सा तेल और गैस निर्यात से प्राप्त राजस्व पर निर्भर करता है। इसलिए, पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस पर प्रतिबंध लगाकर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने और बातचीत में दबाव बनाने का यह एक कारगर तरीका हो सकता है।
रूस पर प्रतिबंध, लेकिन भारत और दूसरे देशों के जरिए रूसी तेल की हुई खरीद
हालांकि, रूसी तेल पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन G7, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने 5 दिसंबर 2022 से रूसी कच्चे तेल की अधिकतम कीमत 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तय की थी। इसका उद्देश्य रूस की आय को सीमित करना और वैश्विक बाजार में तेल की उपलब्धता बनाए रखना था। लेकिन यूरोप और अमेरिका ने खुद ही भारत और अन्य तीसरे देशों के जरिए रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन का आयात किया।
हाल ही में हुआ Reliance- Rosneft का दुनिया का बड़ा तेल सौदा
हाल ही में रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) ने भारतीय निजी रिफाइनर रिलायंस को लगभग 500,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की है, जो दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा ऊर्जा सौदा है। 10 वर्षीय समझौता वैश्विक आपूर्ति का 0.5 प्रतिशत है और आज की कीमतों पर लगभग 13 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है याने 11 हजार 322 करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा।
इस सौदे से जुड़े तीनों सूत्रों ने बताया कि इस सौदे के तहत, रोसनेफ्ट हर महीने विभिन्न रूसी कच्चे तेल के 20-21 अफ्रामैक्स आकार के कार्गो (80,000 से 100,000 मीट्रिक टन) और ईंधन तेल के लगभग 100,000 टन के तीन कार्गो की आपूर्ति करेगा। ये शिपमेंट पश्चिमी राज्य गुजरात के जामनगर में रिलायंस के रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स, जो दुनिया का सबसे बड़ा है, के लिए आपूर्ति की जाएगी।
2024 में, रिलायंस ने रोसनेफ्ट के साथ हर महीने 3 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खरीद का सौदा किया था। रोसनेफ्ट नियमित आधार पर बिचौलियों के माध्यम से रिलायंस को कच्चा तेल (Crude Oil) भी बेच रहा है। एक सूत्र ने बताया कि नए सौदे में रूसी बंदरगाहों से रोसनेफ्ट के समुद्री तेल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा शामिल है, जिससे अन्य व्यापारियों और बिचौलियों के लिए बहुत अधिक आपूर्ति उपलब्ध नहीं होती है।
सूत्रों से प्राप्त टैंकर डेटा के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर तक रिलायंस ने औसतन 405,000 बैरल प्रतिदिन रूसी तेल का आयात किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 388,500 बैरल प्रतिदिन से अधिक है।
क्या है RIL की प्रोफाइल
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड सभी प्रमुख वित्तीय मापदंडों पर भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है। 2004 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची में सूचीबद्ध होने वाला पहला भारतीय निजी क्षेत्र का संगठन बन गया। कंपनी देश भर में इलाहाबाद, बाराबंकी, दहेज, हजीरा, होशियारपुर, जामनगर, नागोथने, नागपुर, नरोदा, पातालगंगा, सिलवासा और वडोदरा में विश्व स्तरीय विनिर्माण सुविधाएं संचालित करती है। कंपनी हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन, तेल से लेकर रसायन खुदरा और डिजिटल सेवाओं तक फैली गतिविधियों में लगी हुई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की गतिविधियों में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन, पेट्रोलियम शोधन और विपणन, पेट्रोकेमिकल खुदरा और दूरसंचार शामिल हैं। पेट्रोकेमिकल्स खंड में पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उत्पादन और विपणन कार्य शामिल हैं कंपनी की शुरुआत एक छोटी कपड़ा निर्माता इकाई के रूप में हुई थी। 8 मई 1973 को आरआईएल को शामिल किया गया और वर्ष 1985 में इसका नाम बदलकर आरआईएल कर दिया गया।
