पिछले तीन और छह महीनों के दौरान बाजार में सुस्ती के बाद रक्षा क्षेत्र के शेयरों ने पिछले महीने से अपने प्रदर्शन में सुधार दर्ज करते हुए अपनी स्थिति फिर से मजबूत की है। ऑर्डर मिलने की सुस्त रफ्तार, इन्हें पूरा करने की बाधाओं, आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतों और ऊंचे मूल्यांकन की चिंताओं से यह क्षेत्र दबाव में था। लेकिन भारतीय खरीद पर सरकार के जोर दिए जाने, निर्यात अवसरों, यूरोप के फिर से हथियार जुटाने की योजनाओं और हाल में कीमतों में गिरावट के कारण निवेशकों ने फिर इन पर दांव लगाना शुरू किया है।
इस क्षेत्र में तात्कालिक तेजी का कारण यूरोपीय संघ (ईयू) का रक्षा खर्च 800 अरब पौंड तक बढ़ाने का फैसला है। इस कदम का उद्देश्य यूरोप की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता बढ़ाना है, विशेष रूप से अमेरिका के बदलते रुख और यूक्रेन को सैन्य सहायता कोरने के कारण।
फिर से शस्त्र जुटाने की पहल के हिस्से के रूप में यूरोपीय संघ को उम्मीद है कि सदस्य देश रक्षा व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाएंगे जिससे अगले चार वर्षों में कुल व्यय 650 अरब पौंड हो जाने की संभावना है। इस योजना में वायु और मिसाइल रक्षा, तोपखाना प्रणाली, ड्रोन, मिसाइल और गोला-बारूद जैसे क्षेत्रों में पूरे यूरोप की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सदस्य देशों को 150 अरब पौंड का ऋण भी शामिल है।
इलारा सिक्योरिटीज में विश्लेषक हर्षित कपाड़िया का मानना है कि भारतीय रक्षा कंपनियों को लाभ होगा क्योंकि यूरोपीय संघ के मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) कल-पुर्जों और सहायक प्रणालियों के लिए भारत की सरकारी और निजी कंपनियों की ओर देख रहे हैं। यूरोपीय संघ के रक्षा विस्तार की संभावित लाभार्थियों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, भारत डायनेमिक्स, डेटा पैटर्न (इंडिया), जेन टेक्नोलॉजीज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज, सोलर इंडस्ट्रीज, आजाद इंजीनियरिंग और डायनमैटिक टेक्नोलॉजीज शामिल हैं।
नोमुरा रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार उभरते सुरक्षा खतरों, बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण की जरूरत के कारण यूरोप अपने रक्षा खर्च में इजाफा कर रहा है। नोमुरा रिसर्च के विश्लेषकों उमेश राउत और नीतेश पालीवाल का मानना है कि यूरोपीय संघ के खर्च बढ़ाने से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को फायदा हो सकता है क्योंकि उसकी प्रमुख यूरोपीय ओईएम कंपनियों के साथ मजबूत साझेदारी है जिनमें सैफ्रान और थेल्स सिस्टम्स के साथ संयुक्त उपक्रम और साब, टर्मा तथा एयरबस के साथ साझेदारियां शामिल हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का मानना है कि मौजूदा ऑर्डरों, सहमतियों या यूरोपीय फर्मों के साथ मजबूत संबंध रखने वाली निजी कंपनियों को यूरोप का रक्षा बजट बढ़ने से फायदा हो सकता है। इसे देखते हुए अमित दीक्षित के नेतृत्व में ब्रोकरेज के विश्लेषकों ने बढ़ते रक्षा खर्च से लाभान्वित कंपनियों में सोलर इंडस्ट्रीज, पीटीसी इंडस्ट्रीज, डायनमैटिक टेक्नोलॉजीज और आजाद इंजीनियरिंग को पसंद किया है।
घरेलू स्तर पर स्थानीय खरीद और निर्यात पर सरकार के फोकस से भारतीय रक्षा फर्मों की संभावनाओं को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सरकार ने 2024-25 के लिए घरेलू रक्षा उत्पादन का 1.6 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है जो 2023-24 के 1.3 लाख करोड़ रुपये से 23 प्रतिशत अधिक है। 2014-15 से भारत के रक्षा उत्पादन में 174 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिसमें अब निजी क्षेत्र का योगदान 20 प्रतिशत है। भविष्य में यह आंकड़ा बढ़ सकता है।
निर्यात की बात करें तो सरकार ने वर्ष 2025-26 तक रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है जो मौजूदा 21,000 करोड़ रुपये से करीब 42 फीसदी अधिक है। फ्रांस, आर्मेनिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, अफ्रीकी संघ और पश्चिम एशिया जैसे देशों की मांग के कारण निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है। प्रमुख रक्षा निर्यात में पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलें, डोर्नियर-228 विमान, रडार, बख्तरबंद वाहन, 155 मिमी आर्टिलरी गन, थर्मल इमेजर, फ्यूज और एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक घटक शामिल हैं।
ब्रोकर सूचीबद्ध रक्षा कंपनियों के परिदृश्य पर उत्साहित हैं। कई कंपनियों से दो अंक में रिटर्न मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। कीमत लक्ष्य के आधार पर सबसे अधिक रिटर्न की संभावना वाली कंपनियों में आजाद इंजीनियरिंग (68 प्रतिशत), पीटीसी इंडस्ट्रीज (64 प्रतिशत), डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज (55 प्रतिशत), डेटा पैटर्न्स (इंडिया) (50 प्रतिशत) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (45 प्रतिशत) शामिल हैं।
