वैश्विक ब्रोकरेज सीएलएसए ने इंडसइंड बैंक के लिए अपना कीमत लक्ष्य 1,200 रुपये से घटाकर 900 रुपये कर दिया है जबकि उसने उसकी ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग बरकरार रखी है। यह तब है जब निजी ऋणदाता ने अकाउंटिंग अंतर के कारण नेटवर्थ में 1,500 करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा किया है। संशोधित लक्ष्य के हिसाब से मौजूदा स्तरों से इस शेयर में 30 प्रतिशत की तेजी का संकेत है। बैंक का शेयर बुधवार के 685 रुपये के बंद भाव के मुकाबले गुरुवार को 1.84 फीसदी गिरकर 672 रुपये पर बंद हुआ।
सीएलएसए ने आरबीएल बैंक और येस बैंक के साथ तुलना करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हमने अपने अनुमानों में 9 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक की कटौती की है (एकमुश्त अकाउंटिंग प्रभाव और कम वृद्धि की वजह से) और कीमत लक्ष्य को 1,300 रुपये से घटाकर 900 रुपये कर दिया है लेकिन अपनी ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग को बरकरार रखा है।’
सीएलएसए में विश्लेषकों पिरान इंजीनियर, श्रेया शिवानी और रोशनी मुंशी ने लिखा है, ‘जब आरबीआई ने आरबीएल बैंक के एमडी को एक वर्ष का विस्तार दिया और बाद में एक पीएसयू बैंकर नियुक्त किया तो शेयर 60 फीसदी टूट गया। दलाल पथ को डर था कि समस्याएं सामने आएंगी। लेकिन आगामी तिमाहियों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और शेयर ने अपने नुकसान की भरपाई कर ली। येस बैंक के साथ भी कुछ ऐसा ही लेकिन यह अस्थायी था, जिसमें सीईओ को जबरन बाहर किया गया। हमारे विचार से इंडसइंड बैंक के शेयर की चाल भी बहुत अलग नहीं होनी चाहिए।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच से सात वर्षों में हालिया अकाउंटिंग त्रुटि की रिपोर्ट न तो बैंक के लेखा परीक्षकों ने और न ही आरबीआई ने की थी। उन्होंने लिखा, ‘हालांकि आरबीआई ने प्रबंध निदेशक का कार्यकाल घटाकर एक वर्ष कर दिया। जरूरी नहीं है कि इसका कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता से जुड़ा हो, लेकिन इसके पीछे अन्य कारक हो सकते हैं। बैंक के एमडी को आरबीआई द्वारा एक साल का विस्तार ठीक 2021 में आरबीएल बैंक के लिए किए गए विस्तार के जैसा ही है। हालांकि, येस बैंक के मामले में आरबीआई ने अपनी घोषणा के 3-4 महीने के भीतर ही एमडी के कार्यकाल को अचानक समाप्त कर दिया। दोनों ही मामलों में कुछ समय बाद शेयरों में सुधार हुआ (येस के मामले में, यह एक अस्थायी सुधार था)।’
सीएलएसए का मानना है कि इंडसइंड का शेयर अल्पावधि में अस्थिर रह सकता है लेकिन अगर ऋणदाता का बुनियादी आधार मजबूत बना रहा तो इसमें सुधार आएगा। ब्रोकरेज ने कहा, ‘अगली 2-3 तिमाहियों के दौरान प्रबंधन की निरंतरता को लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी। अगर कोई सरकारी बैंकर नियुक्त किया जाता है तो इस शेयर के लिए धारणा और ज्यादा नकारात्मक हो जाएगी।’
इसके अलावा, उसके ऋणदाताओं द्वारा गिरवी रखे गए प्रवर्तकों के शेयरों को अगर बेच दिया जाता है तो अनिश्चितता बढ़ जाएगी। ब्रोकरेज ने कहा, ‘लेकिन समय के साथ हमारा मानना है कि इसके मूल तत्व बने रहेंगे। अगर बैंक अगली 4-6 तिमाहियों में मोटे तौर पर उम्मीदों के अनुरूप आंकड़े पेश करता है तो चिंताएं कम हो जाएंगी।’ इंडसइंड बैंक का शेयर पिछले साल के दौरान 60 फीसदी लुढ़का है।
