छह महीनों से कम समय में इंडियन स्टॉक मार्केट की पूरी तस्वीर बदल गई है। सितंबर के अंत में ऑल टाइम हाई पर पहुंच चुके सूचकांक फिसलते जा रहे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफएफआई) सितंबर के आखिर से अब तक इंडियन मार्केट में 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। इससे उनके एसेट्स अंडर कस्टडी (एयूसी) में बड़ी गिरावट आई है। इस गिरावट में उनकी बिकवाली और मार्केट में गिरावट दोनों का हाथ है। खास बात यह है कि दूसरी कैटेगरी के इनवेस्टर्स के एयूसी में और भी ज्यादा गिरावट आई है। इनमें हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), ब्रोकर्स, पार्टनरशिप फर्म, फॉरेन करेंसी कनवर्टिबल बॉन्ड्स (एफसीसीबी) होल्डर्स और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस शामिल हैं।
HUF के पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा गिरावट
सितंबर 2024 के पीक से सबसे ज्यादा गिरावट HUF के पोर्टफोलियो में आई है। उनकी होल्डिंग्स इस दौरान 87 फीसदी घटी है। ब्रोकर्स के पोर्टफोलियो में करीब 85 फीसदी गिरावट आई है, जबकि पार्टनरशिप फर्मों के पोर्टफोलियो में 27 फीसदी कमी आई है। एफसीसीबी होल्डर्स के पोर्टफोलियो की वैल्यू 26.5 फीसदी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के पोर्टफोलियो की वैल्यू 23 फीसदी घटी है। इसके मुकाबले FII के एसेट्स अंडर कस्टडी (AUC) में करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है। अगर फीसदी में देखा जाए तो पोर्टफोलियो की वैल्यू में गिरावट के लिहाज से FII छठे पायदान पर हैं।
FIIs की सितंबर के अंत से 2.5 लाख करोड़ की बिकवाली
FIIs इंडियन मार्केट्स में सितंबर के अंत से अब तक 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। उनकी बिकवाली के कई कारण हैं। पहला इंडियन मार्केट्स की ज्यादा वैल्यूएशन है। दूसरा, सुस्त पड़ती इंडियन इकोनॉमी है। तीसरा, कंपनियों की कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ है। चौथा, ग्लोबल टैरिफ वॉर है। 2025 में Sensex और Nifty दोनों में ही 4.5 फीसदी गिरावट आई है। BSE Midcap Index और SmallCap Index में क्रमश: 14 फीसदी और 17 फीसदी की गिरावट आई है।
इंश्योरेंस कंपनी और म्यूचुअल फंडों के पोर्टफोलियो की भी वैल्यू घटी
इंश्योरेंस कंपनियों, बैंक, डिपॉजिटरी रिसीट्स, ट्रस्ट्स और म्यूचुअल फंडों का Assets Under Custody (AUC) में 11-16 फीसदी की गिरावट आई है। कॉर्पोरेट्स, फॉरेन डिपॉजिटरीज, लोकल पेंशन फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजर्स और इनवेस्टमेंट फंड्स के एयूसी में भी 2-10 फीसदी की गिरावट आई है। मार्केट में करेक्शन के बावजूद शेयरों में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) करीब 3.3 फीसदी बढ़ा है। इक्विटी में NRI और फॉरेन वेंचर कैपिटल इनवेस्टमेंट्स करीब 2.6 फीसदी और 1.1 फीसदी बढ़ा है।
