अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के ऑटो सेक्टर पर जैसे को तैसा (Reciprocal) टैरिफ लगाने की धमकी दी है। लेकिन नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर टैरिफ लगने का ऑटो सेक्टर पर ज्यादा असर नहीं होगा। नोमुरा की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप की US कारों पर टैरिफ घटाने या जीरो करने की मांग है। भारत भी US की कारों पर 110 फीसदी टैरिफ लगाता है। वहीं, टू-व्हीलर के इंपोर्ट पर 70 फीसदी टैरिफ लगाता है। इसके साथ ही भारत ऑटो पार्ट्स के इंपोर्ट पर 15 फीसदी टैरिफ लगाता है। वहीं, अमेरिका भारत के कार पर 2.5 फीसदी और टू-व्हीलर पर 2.4 फीसदी लेवी लगाता है।
भारत-US के बीच ऑटो कारोबार
भारत-US के बीच ऑटो कारोबार पर नजर डालें तो US ने 2023 में भारत से 2.5 करोड़ डॉलर कार ट्रेड सरप्लस किया। US में भारतीय कारो का इंपोर्ट लगातार घट रहा है। US के मुकाबले भारत का मोटरसाइकिल ट्रेड 5.8 करोड़ डॉलर सरप्लस में है।
भारत-US: ऑटो पार्ट्स कारोबार
भारत, US को 2 अरब डॉलर के कंपोनेंट एक्सपोर्ट करता है। 2023 में US का भारत को एक्सपोर्ट 40 करोड़ डॉलर रहा था। US के कुल ऑटो पार्ट्स का भारत से सिर्फ 2 फीसदी ही इंपोर्ट होता है। ये मैक्सिको,कनाडा और चीन के तुलना में काफी कम है।
भारतीय ऑटो पार्ट्स कंपनियों को फायदा
नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है टैरिफ घटने से कम लेबर कॉस्ट की वजह से भारत के कंपोनेंट सप्लायर को फायदा होगा। टैरिफ घटाने से प्रीमियम PV और मोटरसाइकिल में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। एंट्री लेवल सेगमेंट पर ज्यादा असर नहीं होगा। मैक्सिको और चीन पर ज्यादा टैरिफ से भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। सम्वर्धन मदरसन जैसी कंपनियों को फायदा होगा। कम मैन्युफैक्चरिंग लागत से घरेलू कंपनियों को फायदा होगा। भारत में कुल बिक्री का 11.3 फीसदी लेबर कॉस्ट होता है। जबकि विदेशो में कुल बिक्री का 23.4 फीसदी लेबर कॉस्ट होता है।
टायर कंपनियों को फायदा
नोमुरा की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि टैरिफ घटने से टायर कंपनियों को फायदा होगा। 2023 में भारत से US को 47.2 करोड़ डॉलर के टायर एक्सपोर्ट हुए थे। US में डिमांड बढ़ने से घरेलू टायर कंपनियों को फायदा होगा। अपोलो टायर जैसी कंपनियों का फायदा संभव है। अमेरिका भारतीय टायर पर सिर्फ 3% से 4% टैरिफ लगाता है।
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