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फरवरी में 21 महीनों की सबसे धीमी रफ्तार से बढ़े डीमैट अकाउंट, बाजार के करेक्शन ने घटाया ट्रेडर्स का उत्साह

फरवरी में भी डीमैट खातों की कुल संख्या में बढ़ोतरी जारी रही, लेकिन इस बढ़ोतरी की रफ्तार 21 महीनों में सबसे धीमी रही। इसके पीछे कारण बाजार का उतार-चढ़ाव और शेयर बाजार में करेक्शन रहा। फरवरी महीने के दौरान लगभग 19.2 लाख नए डीमैट अकाउंट एड हुए। आंकड़ों से पता चलता है कि यह मई 2023 के बाद से सबसे धीमी वृद्धि रही। जनवरी 2025 में नए डीमैट अकाउंट के एडिशन का आंकड़ा 28.3 लाख था। वहीं दिसंबर 2024 में 32.6 लाख नए खाते खुले थे।

फरवरी तक NSDL और CDSL के साथ रजिस्टर्ड डीमैट खातों की कुल संख्या 19.04 करोड़ तक पहुंच गई। जनवरी में यह आंकड़ा 18.81 करोड़ था। डीमैट खातों के एडिशंस की धीमी वृद्धि ऐसे वक्त में सामने आई, जब विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिक्री के कारण भारतीय इक्विटी बाजारों में करेक्शन दिखा। हाई वैल्यूएशन, धीमी अर्थव्यवस्था, कमजोर आय वृद्धि और अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत ग्लोबल टैरिफ वॉर ने सेंटिमेंट को और प्रभावित किया है।सालाना आधार पर बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी50 में लगभग 4.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं ब्रॉडर इंडेक्स बीएसई मिडकैप में 14 प्रतिशत और स्मॉलकैप में 17 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

डेरिवेटिव्स बाजार में कम गतिविधि भी एक वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि नए डीमैट खाते खोले जाने में गिरावट का कारण डेरिवेटिव्स बाजार में कम गतिविधि भी है। अत्यधिक एफएंडओ गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से पेश किए गए सख्त नियमों के बाद डेरिवेटिव्स मार्केट में हलचल कम हुई है। मार्केट पार्टिसिपेंट्स के मुताबिक, सेबी के नए नियमों ने ऑप्शंस सेगमेंट में अवसरों को सीमित कर दिया है, जिससे ट्रेडर्स का उत्साह और कम हो गया है।

नए IPO आने में तेज गिरावट ने भी नए डीमैट खाते खोले जाने में मंदी में योगदान दिया है। शेयर बाजार में बढ़ी हुई अस्थिरता की अवधि ने लगातार स्पाइक्स के साथ स्टॉप-लॉस को ट्रिगर करने या निवेशकों को घाटे में पोजीशन से बाहर निकलने के लिए मजबूर करने में अपनी भूमिका निभाई, जिससे जोखिम से बचने में वृद्धि हुई।

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