भारत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और सुचारू सप्लाई चेन सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ एक अच्छे व्यापार समझौते की तलाश कर रहा है। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने द इकोनॉमिक टाइम्स अवॉर्ड्स में कही। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती ग्लोबल टैरिफ वॉर के बीच, भारत को हायर अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहे देशों से सामान की संभावित डंपिंग से बचने के लिए स्मार्ट तरीके से आगे बढ़ना होगा। साथ ही, भारत उन घरेलू उद्योगों के हितों की रक्षा करेगा, जो किफायती आयात पर निर्भर हैं।
सीतारमण ने कहा, “मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को एक अच्छे समझौते की महत्वाकांक्षा होनी चाहिए, और कोई भी इसमें गलती नहीं कर सकता। विशेष रूप से भारत के लिए.. जब आप विकसित भारत की ओर देख रहे हैं, तो आपके पास अच्छा ट्रैक्शन होना चाहिए। हर कोई ग्रोथ के आंकड़ों को लेकर चिंतित है।” मंत्री ने कहा कि देश के निर्यात को मजबूत करने के लिए जहां भी संभावना है, बहुत सारे कदम उठाने की जरूरत है।
सीतारमण ने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को इस बारे में पूरी तरह से जानकारी है। वह व्यापार समझौते को विकास को बढ़ावा देने, हमारी सप्लाई चेन के इनटैक्ट और स्मूद होने को सुनिश्चित करने के मामले में हमारी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के तौर पर लेंगे। और इसलिए, मुझे लगता है कि यह उनकी बातचीत को गाइड करेगा।”
2030 तक व्यापार को दोगुना करना चाहते हैं भारत और अमेरिका
भारत और अमेरिका 2030 तक व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर करने के उद्देश्य से एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। गोयल अमेरिका की एक सप्ताह की यात्रा के दौरान अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ व्यापार पर बातचीत करने के बाद शनिवार को वाशिंगटन से लौटे।
संभावित डंपिंग से खुद को स्मार्टली बचाना होगा
इस चिंता पर कि अमेरिकी टैरिफ के कारण देश में माल की डंपिंग हो सकती है, सीतारमण ने कहा कि जब ऐसी संभावनाएं होंगी, तो हमें इससे खुद को बचाना होगा। हमें इस तरह की चीजों के बारे में स्मार्ट तरीके से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्टेकहोल्डर्स में कुछ वर्ग ऐसे हैं, जो डंप किए गए माल को पूरी तरह से रोकना चाहते हैं और कुछ वर्ग ऐसे हैं, जो इसके लिए एक ठीक अप्रोच पसंद करते हैं। मंत्री ने कहा, “इसलिए, सरकार का काम यह सुनिश्चित करना है कि हम इसके लिए योजना बनाएं और सभी के हितों को बैलेंस करें।” स्टील जैसे विभिन्न सेक्टर्स पहले से ही सरकार से सेफगार्ड ड्यूटी लगाने के लिए कॉन्टैक्ट कर चुके हैं ताकि चीन जैसे देशों से आयात में वृद्धि से उन्हें बचाया जा सके।
