ट्रेड के मोर्चे पर बढ़ती टेंशन और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेतों ने रिस्की एसेट्स पर दबाव डाला है। वहीं ज्यादातर चीजों को चीन की बुलिश ग्रोथ के अनुमान और अमेरिकी डॉलर में तेज कमजोरी के कारण राहत मिली। अमेरिकी डॉलर में पिछले सप्ताह के अंत में 3.4% की तेज गिरावट आई। यह 2022 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। इसके पीछे टैरिफ को लेकर अनिश्चितता और यह डर रहा कि ट्रंप की ट्रेड पॉलिसीज अमेरिकी विकास को धीमा कर सकती हैं।
Kotak Securities में कमोडिटी रिसर्च की सीनियर मैनेजर कायनात चेनवाला का कहना है कि अमेरिका से निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों की सीरीज जारी रही। आधिकारिक श्रम रिपोर्ट ने दर्शाया कि महीने में नॉन-फार्म पेरोल में सीजनली एडजस्टेड 151,000 की वृद्धि हुई, जबकि बेरोजगारी दर 4.1% तक बढ़ गई। कमजोर जॉब रिपोर्ट्स और टैरिफ चिंताओं के कारण अमेरिकी इक्विटी दबाव में आ गई, जिससे सभी तीन प्रमुख बेंचमार्क 2% से अधिक नीचे आ गए।
कॉमेक्स गोल्ड 2% से अधिक चढ़ा
चेनवाला के मुताबिक, बीते सप्ताह कॉमेक्स गोल्ड ने तेज वापसी की और 2% से अधिक बढ़त के साथ 2,941.30 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर बंद हुआ। अमेरिकी रोजगार बाजार में नरमी ने ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को बरकरार रखा और डॉलर को 4 महीने के निचले स्तर 103.46 पर पहुंचा दिया। सोने और औद्योगिक धातुओं दोनों में बढ़त के कारण चांदी में करीब 5% की तेजी आई और यह दो सप्ताह के उच्चतम स्तर 33.30 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर पहुंच गई।
MCX गोल्ड अप्रैल वायदा पिछले 4 कारोबारी सत्रों से मजबूत हो रहा है। हालांकि कीमत 20 EMA और सुपरट्रेंड (7,3) से ऊपर बंद हुई। चेनवाला का कहना है कि यह पॉजिटिव बायस को दर्शाता है, लेकिन नए अपट्रेंड के लिए 86,600 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर एक ब्रेक और टिके रहने की जरूरत है। 86,600 रुपये से ऊपर टिके रहने पर कीमत 87,700 रुपये तक बढ़ सकती है। दूसरी ओर 85,100 रुपये शुरुआती सपोर्ट लेवल है, इसके बाद 84,600 रुपये पर सपोर्ट है।
LME बेस मेटल्स में 2-4% की तेजी आई, क्योंकि चीन ने लगभग 5% वार्षिक वृद्धि और 4% बजट घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया है। इससे उम्मीद जगी है कि सरकार अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड टेंशन के बीच घरेलू खपत को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रोत्साहन उपाय पेश करेगी।
कच्चा तेल लगातार 7वें सप्ताह टूटा
इस बीच, WTI कच्चे तेल में लगातार सातवें सप्ताह गिरावट जारी रही। गुरुवार को यह छह महीने के निचले स्तर 65.22 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। ऐसा ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंकाओं, ओपेक+ से बढ़ती सप्लाई और रूस पर प्रतिबंधों में ढील की संभावना के बीच मांग को लेकर चिंताओं के कारण हुआ। अमेरिकी इनवेंट्री में वृद्धि ने कीमतों पर अतिरिक्त गिरावट का दबाव डाला। हालांकि, चीन के बुलिश विकास लक्ष्यों पर तेल की कीमतों में सुधार देखा गया। कीमतें सप्ताह के अंत में 67 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बंद हुईं।
नए सप्ताह में इन चीजों पर रहेगी नजर
10 मार्च से शुरू होने वाले अगले सप्ताह में सभी की निगाहें अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों पर होंगी। फेडरल रिजर्व की इस वर्ष बाकी 7 पॉलिसी मीटिंग्स के दौरान ट्रेडर्स 3 रेट कट की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि फेड पॉलिसी मेकर्स ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि वे दर कटौती को फिर से शुरू करने से पहले महंगाई को देखना चाहेंगे। इसके अलावा नए सप्ताह में ट्रेडर्स की नजर भारत में खुदरा महंगाई के आंकड़ों और टैरिफ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर भी रहेगी।
