Editor’s Take: अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. ट्रंप के प्रेसिडेंट बनने के बाद जो तेजी बाजार में आई थी, वह अब धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही है. नैस्डैक अपने लाइफ हाई से 10% तक फिसल चुका है. टैरिफ वॉर की आंच अब अमेरिका को भी महसूस होने लगी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ रही है. हालांकि, डॉलर इंडेक्स का 104 के स्तर तक गिरना उभरते बाजारों (इमर्जिंग मार्केट्स) के लिए बेहद सकारात्मक संकेत है. भारतीय बाजार के लिए भी यह राहत की खबर हो सकती है, क्योंकि डॉलर इंडेक्स के कमजोर होने पर भारतीय बाजारों में रिकवरी देखने को मिल सकती है.
ट्रंप को अमेरिकी बाजारों की परवाह नहीं?
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने बाजार में चिंता बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि वह “बाजार को देखकर नीति नहीं बनाते” और “मैं बाजार को देखता भी नहीं.” इससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी बाजार की मौजूदा गिरावट उनके लिए प्राथमिकता नहीं है. ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि अमेरिकी बाजारों की कमजोरी के पीछे “विदेशी शक्तियों” का हाथ है. इस तरह के बयान अमेरिकी बाजारों में और अधिक अस्थिरता और कमजोरी ला सकते हैं.
FIIs ने कल नेट-नेट खरीदारी की, क्या यह संकेत है?
पिछले कुछ समय से भारतीय बाजार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली का दबाव बना हुआ था, लेकिन अब इसमें राहत के संकेत मिल रहे हैं. कल के सेशन में FIIs ने कैश, इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स में लंबे समय बाद नेट-नेट खरीदारी की. इसके साथ ही घरेलू फंड्स भी लगातार दमदार खरीदारी कर रहे हैं, जिससे बाजार को स्थिरता मिल रही है. यदि यह ट्रेंड जारी रहता है, तो बाजार में मजबूती देखने को मिल सकती है.
आज ‘Buy On Dips’ या ‘Sell On Rise’?
कल के मजबूत बाजार के दौरान एक बड़ा गिरावट का मौका मिला, जहां निवेशकों ने खरीदारी की. आज भी दोनों तरफ ट्रेडिंग के मौके मिल सकते हैं. बाजार की सुस्त शुरुआत के बाद निवेशकों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए और गिरावट में सपोर्ट लेवल पर दो टुकड़ों में खरीदारी करनी चाहिए. वहीं, अगर बाजार में अचानक उछाल आता है, तो रेजिस्टेंस के स्तरों पर मुनाफावसूली भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
22550 का स्तर क्यों महत्वपूर्ण?
कल बाजार ने बार-बार 22550 के स्तर का परीक्षण किया और दिन का उच्चतम स्तर इसी के आसपास बनाया. यह स्तर ‘Make or Break’ जोन बन चुका है. यदि बाजार निर्णायक रूप से इस स्तर के ऊपर बंद होता है, तो इसमें और मजबूती देखने को मिल सकती है. यह स्तर निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर साबित हो सकता है.
क्या तेल और मेटल शेयर ‘Buy On Dips’ हो गए?
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर तेल और गैस, पेंट और एविएशन शेयरों पर सकारात्मक हो सकता है. डॉलर इंडेक्स की कमजोरी से मेटल शेयरों को भी सपोर्ट मिलेगा. ऐसे में गिरावट के दौरान मेटल, क्रूड से जुड़े शेयर और बैंकिंग सेक्टर में खरीदारी का अच्छा मौका बन सकता है. निवेशकों को इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
