हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा ने ऐसी बात कही है, जिससे लाखों निवेशकों को राहत मिल सकती है। उन्होंने कहा है कि मार्केट अगले 1-2 महीने में अपने निचले स्तर से ऊपर आने लगेगा। फिर यह 7-8 फीसदी चढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि वह इस बात को नहीं मानते कि मार्केट भविष्य का संकेत दे सकता है। मनीकंट्रोल ग्लोबल वेल्थ समिट 2025 में उन्होंने कई अहम बातें कहीं। इस कार्यक्रम में दिग्गज इनवेस्टर शंकर शर्मा सहित कई एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया।
अमेरिका में एक साथ कई चीजें चल रही हैं
अरोड़ा (Samir Arora) ने कहा कि उन्होंने गूगल, एमजॉन जैसे स्टॉक्स बेच दिए। एक साथ कई चीजों को नहीं संभाला जा सकता। अमेरिका में एक साथ कई चीजें चल रही हैं। इनमें टैरिफ, डिपोर्टेशन, सरकारी एंप्लॉयीज की छंटनी आदि शामिल हैं। इससे काफी ज्यादा कनफ्यूजन की स्थिति है। माहौल काफी अनिश्चित है। अमेरिका एक साथ इतनी चीजों को हैंडल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि बुल रन का उनकी परिभाषा दो चीजों पर आधारित है। पहला यह कि स्टॉक्स का रिटर्न डेट से बेहतर होना चाहिए। दूसरा यह कि मार्केट का प्रदर्शन दूसरे मार्केट्स से अच्छा होना चाहिए।
कई साल तक मार्केट का रिटर्न जीरो रह सकता है
जीक्वांट इनवेस्टेक के फाउंडर शंकर शर्मा ने कहा कि निफ्टी 50 इस साल हाई बनाने नहीं जा रहा है। सितंबर 2024 के हाई से अगले 4-5 साल तक रिटर्न जीरो रह सकता है। इसका मतलब है कि मार्केट में आपको 5 साल तक दिलचस्पी बनाए रखनी होगी। उन्होंने कहा कि इंडिया एक तरह का प्रस्पेक्टिव सुनने को मिलता है। अमेरिका में कई तरह के विचार होते हैं। इंडिया में अगर आप बुलिश हैं तो आप देशभक्त हैं। अगर आप बेयरिश हैं तो आप देश-विरोधी हैं।
लार्जकैप स्टॉक्स में और गिरावट आ सकती है
शर्मा ने कहा कि यह साल मुश्किल रहने वाला है। अगर काफी स्मार्ट है तो आप छोटी रैली का फायदा उठा सकते हैं। अभी जो माहौल है, उसमें इंडिया एक बॉटम-अप मार्केट है। ट्रेंडिंग मार्केट से यह ट्रेडिंग मार्केट बन गया है। लार्जकैप में और गिरावट आने वाली है। सितंबर 2024 से जारी गिरावट लार्जकैप स्टॉक्स पर भी काफी भारी पड़ी है। हालांकि, उनमें स्मॉलकैप और मिडकैप के मुकाबले कम गिरावट आई है।
विदेशी फंडों की बिकवाली गिरावट की बड़ी वजह
इंडियन मार्केट में गिरावट की बड़ी वजह विदेशी फंडों की बिकवाली है। बीते पांच महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशक 26 अरब डॉलर की बिकवाली कर चुके है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बाजार को काफी संभाला है। विदेशी फंडों की बिकवाली के बीच उन्होंने खरीदारी की है। अगर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बाजार को नहीं संभाला होता तो मार्केट में और भी ज्यादा गिरावट आई होती।
