संपन्न वर्ग के लिए विशेष निवेश साधन- वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) ने दिसंबर 2024 तक कुल 13 लाख करोड़ रुपये निवेश के वादे हासिल कर लिए हैं। यह तिमाही आधार पर 5 फीसदी ज्यादा है। इस उछाल का श्रेय अमीर निवेशकों (एचएनआई) की बढ़ती संपत्ति और उतार-चढ़ाव वाले बाजार के माहौल में विविधता पर उनकी जरूरत को जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि एआईएफ की जुटाई कुल राशि 5.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जबकि दिसंबर में कुल निवेश 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। सालाना आधार पर प्रतिबद्धताओं और निवेश में 27 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।
एआईएफ अति धनाढ्य निवेशकों पर ध्यान देते हैं। इनमें निवेश किस्तों में किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जुटाई जाने वाली राशि प्रतिबद्धता राशि से कम होती है। श्रेणी-2 एआईएफ में निवेश प्रतिबद्धताएं ( जिनमें रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड और संकटग्रस्त फंड शामिल हैं) दिसंबर 2024 की तिमाही के दौरान पहली बार 10 लाख करोड़ रुपये को पार कर गईं।
एआईएफ उद्योग मात्र 10 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता के उल्लेखनीय स्तर तक पहुंच गया जबकि निजी क्षेत्र के म्युचुअल फंडों को 20 साल से ज्यादा समय लगा।
नॉर्दर्न आर्क के प्रवक्ता ने कहा, एआईएफ उद्योग के भीतर निजी ऋण उद्योग और भी तेज गति से बढ़ा है, जिसमें एआईएफ प्रतिबद्धताओं का 15 फीसदी हिस्सा शामिल है जबकि पांच साल पहले यह 6 फीसदी था। विविधता की जरूरत, उच्च वास्तविक रिटर्न और नियमित आय निजी ऋण खंड की मांग वृद्धि के प्रमुख वाहक हैं।
नॉर्दर्न आर्क ने चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में प्रतिबद्धताओं और फंड परिपक्वता सहित फंड परिसंपत्तियों में सालाना आधार पर 40 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। विविधता, उच्च वास्तविक रिटर्न और नियमित आय की जरूरत के कारण निजी ऋण निधियों में निवेशकों की रुचि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
विवृति ऐसेट मैनेजमेंट के प्रमुख (क्रेडिट) रघुनाथ टी (जिन्होंने दिसंबर तक निजी ऋण रणनीतियों के लिए 4,800 करोड़ रुपये से अधिक की निवेशक प्रतिबद्धताएं जुटाई हैं) ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में क्रेडिट एआईएफ में निवेशकों की रुचि में काफी इजाफा हुआ है। बैंक और म्युचुअल फंड मिड मार्केट कॉरपोरेट ऋण या निवेश क्षेत्र को खाली कर रहे हैं। इसका मतलब है कि सही जोखिम समायोजित रिटर्न के साथ एक मजबूत निवेश मौजूद है। निवेशकों को इन अपेक्षाकृत स्थिर योजनाओं से ऊंचा रिटर्न भी मिला है। उम्मीद है कि इक्विटी बाजार की मौजूदा अस्थिरता के कारण वे इस सेगमेंट में निवेश जारी रखेंगे।
हालांकि घरेलू निवेशकों का योगदान सबसे अधिक रहा है। लेकिन एआईएफ के कुल निवेश का 65 फीसदी से अधिक हिस्सा गैर-सूचीबद्ध परिसंपत्तियों में है। दिसंबर तिमाही में जहां अधिकांश क्षेत्रों में निवेश बढ़ा, वहीं रियल एस्टेट में निवेश 75,000 करोड़ रुपये से थोड़ा सा घटकर 73,900 करोड़ रुपये रह गया। आईटी/आईटीईएस और वित्तीय सेवाओं में निवेश बढ़कर क्रमशः 30,300 करोड़ रुपये और 26,800 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सेबी ऐंजल फंडों के लिए मानदंडों को आसान बनाने के कदम उठाने पर विचार कर रहा है, जिनमें ऐसे फंडों में निवेश के लिए पात्र संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) की परिभाषा में मान्यता प्राप्त निवेशकों को शामिल करने का प्रस्ताव भी शामिल है। एआईएफ की श्रेणी-1 के तहत आने वाले ऐंजल फंडों के पास दिसंबर 2024 तक 8,700 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता थी।
