Editor’s Take: ट्रंप का टैरिफ वॉर अभी भी जारी है, लेकिन भारत जैसे बाजारों के लिए अब तक ज्यादा नुकसान की स्थिति नहीं दिख रही है. FIIs की बिकवाली भले ही ना रुक रही हो, लेकिन घरेलू निवेशक मजबूती से बाजार को सहारा दे रहे हैं. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी का मानना है कि निफ्टी के 22,000 के नीचे टिकने की संभावना कम है और बाजार में जल्द ही रिकवरी देखने को मिल सकती है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि एक्सपायरी डे में बदलाव से NSE और BSE की प्रतिस्पर्धा में नया मोड़ आ सकता है.
टैरिफ वॉर ने बढ़ाई हलचल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है. पिछले दो दिनों में अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिससे दुनियाभर के निवेशकों में चिंता बढ़ गई है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह ट्रेड वॉर ट्रंप के लिए आसान रहेगा? ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने का फैसला उनके लिए भी भारी पड़ सकता है, क्योंकि इसका जवाब अन्य देश भी कड़े कदमों के रूप में दे सकते हैं. इस बार अमेरिका को जवाबी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा. हालांकि, ट्रंप नए टैरिफ लगाने से पहले दो बार सोच सकते हैं, जिससे भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए राहत मिल सकती है.
भारत पर इसका कितना असर पड़ेगा?
अमेरिकी बाजारों में दो दिनों में डाओ 1,319 अंक लुढ़क गया, जिससे निवेशकों में घबराहट देखी गई. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया कि ट्रंप के फैसले से अमेरिकी महंगाई बढ़ने का खतरा है, जिससे फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव घट जाएगा. लेकिन भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स के लिए यह ज्यादा चिंता की बात नहीं है. डॉलर इंडेक्स गिरकर 105 के करीब आ गया है, जिससे रुपये को मजबूती मिल सकती है. इसके अलावा, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4% के पास है और कच्चा तेल भी 70 डॉलर के करीब फिसल चुका है, जो भारत के लिए सकारात्मक संकेत हैं.
क्या FIIs की बिकवाली का दौर खत्म हुआ?
बीते कुछ हफ्तों से विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार बिकवाली कर रहे थे, लेकिन अब इसमें कुछ राहत दिख रही है. हालांकि, कैश मार्केट में अभी भी बिकवाली जारी है, लेकिन स्टॉक फ्यूचर्स में अच्छी खरीदारी देखने को मिली है. घरेलू फंड्स इस बिकवाली के मुकाबले ज्यादा आक्रामक खरीदारी कर रहे हैं, जिससे बाजार को मजबूत सपोर्ट मिल रहा है.
निफ्टी के लिए अहम सपोर्ट लेवल
निफ्टी की शुरुआत 22 अप्रैल 1996 को हुई थी, और पहली बार ऐसा हो रहा है कि लगातार 10 दिन बाजार निगेटिव बंद हुआ है. हालांकि, पिछले दो दिनों से निफ्टी 22,000 के नीचे टिकने से इनकार कर रहा है. FIIs की बिकवाली धीमी पड़ने और घरेलू फंड्स की दमदार खरीदारी के चलते निफ्टी को सपोर्ट मिल रहा है. इसके अलावा, वैश्विक संकेत भी अब बेहतर हो रहे हैं, जिससे बाजार में सुधार की संभावना है.
एक्सपायरी डे में बदलाव
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक बड़ा बदलाव करते हुए निफ्टी की वीकली और मंथली एक्सपायरी को गुरुवार से बदलकर सोमवार कर दिया है. यह बदलाव 4 अप्रैल से लागू होगा. अनिल सिंघवी का मानना है कि इस फैसले के पीछे मुख्य कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा को कम करना हो सकता है. BSE के सेंसेक्स वीकली एक्सपायरी की लोकप्रियता बढ़ रही थी, जिससे NSE को कड़ी टक्कर मिल रही थी. ऐसे में, अब BSE भी एक्सपायरी का दिन बदल सकता है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.
