अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से ग्लोबल ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। कई देशों पर इसका असर अलग-अलग तरह से पड़ेगा। इससे पहले दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स पर इसका असर दिखा है। अमेरिकी शेयर बाजारों में इससे बड़ी गिरावट आई है। दूसरे देशों के बाजार भी गिरे हैं। कनाडा और चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी प्रोड्क्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। मैक्सिको और अर्जेंटीना भी जवाबी कदम उठाने की तैयारी में हैं। ग्लोबल इकोनॉमी पर इसका बड़ा असर पड़ने जा रहा है। सवाल है कि इंडिया सहित एशियाई देशों पर इस ट्रेड वॉर का कितना असर पड़ेगा?
अमेरिका को निर्यात नहीं करने वाले देशों पर भी असर
ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी पर प्रमुख एशियाई देशों पर कितना असर पड़ेगा। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दूसरे देशों पर टैरिफ का कितना इनडायरेक्ट असर उन अलग-अलग देशों पर पड़ेगा, जो इस ट्रेड वॉर में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। कई एशियाई देश अमेरिका को बड़े पैमाने पर गुड्स का एक्सपोर्ट करते हैं। कुछ देश दूसरे देशों से गुड्स का इंपोर्ट करते हैं और उनमें वैल्यू ऐड करने के बाद अमेरिका को एक्सपोर्ट करते हैं। वियतनाम इसका उदाहरण है। वह चीन से गुड्स इंपोर्ट करता है और फिर फिनिश्ड प्रोडक्स अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है।
वियतनाम पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा
नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ वॉर का एशिया में सबसे ज्यादा असर वियतनाम पर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि वियतनाम की जीडीपी में अमेरिकी एक्सपोर्ट की 8.9 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके बाद ताइवान और थाईलैंड पर सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है। ताइवान की जीडीपी में अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 6.3 फीसदी है, जबकि थाईलैंड की जीडीपी में अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 5.5 फीसदी है। अमेरिका को ज्यादा एक्सपोर्ट करने वाले देशों पर टैरिफ वॉर का ज्यादा असर पड़ेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सेक्टर को ज्यादा लॉस
ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ बढ़ने का असर उन एशियाई देशों पर भी पड़ेगा, जो अमेरिका को एक्सपोर्ट करते हैं। अमेरिका का यूनिवर्सल टैरिफ यानी सभी देशों पर लगने वाला टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को होने जा रहा है। इस सेक्टर का आकार पिछले कुछ सालों में काफी बड़ा हो गया है।
इंडिया को नहीं होने वाली है ज्यादा मुश्किल
इंडिया की बात करें तो इस पर टैरिफ वॉर का असर कम पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि इंडिया की जीडीपी में अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 2 फीसदी है। हालांकि, इंडिया पर कनाडा और मैक्सिको पर लगने वाले टैरिफ का असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि इंडिया वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट कनाडा और मैक्सिको को करता है। इसके बावजूद इंडिया के लिए बड़ी समस्या नहीं होने वाली है।
अमेरिका में फिर से बढ़ेगा इनफ्लेशन
इस टैरिफ वॉर की वजह से अमेरिका में इनफ्लेशन बढ़ेगा। इससे कंज्यूमर डिमांड घटेगी। यह इंडिया और कुछ एशियाई देशों के लिए टैरिफ के डायरेक्ट असर से ज्यादा खराब होगा। अगर अमेरिका में लोग अपना खर्च घटाते हैं तो इससे मीडियन टर्म में एक्सपोर्ट पर काफी खराब असर पड़ सकता है।
