भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए अहम प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) के खुलासों को और ज्यादा सख्त बना दिया है। उद्योग संगठनों के सहयोग से विकसित इन नए मानकों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और निवेशकों को कंपनी के मूल्यांकन और कारोबारी प्रदर्शन की स्पष्ट समझ मुहैया कराना है।
उद्योग मानक फोरम की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में केपीआई की स्पष्ट परिभाषा, मूल्यांकन के लिए प्रासंगिक गैर-परंपरागत वित्तीय पैमानों को शामिल करना तथा लेखा परीक्षा समिति और निदेशक मंडल की निगरानी को बढ़ाना अनिवार्य किया गया है।
1 अप्रैल से प्रभावी होने पर, निवेश बैंकों और आईपीओ लाने वाली कंपनियों को इन मानकों पर अमल करना होगा और मसौदा तथा निर्णायक प्रस्ताव दस्तावेजों में केपीआई का उचित खुलासा सुनिश्चित करना होगा। निवेशकों के लिए किसी कंपनी का मूल्यांकन, परिसंपत्ति जोखिम आकलन और अन्य उद्योग प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना करने के लिए केपीआई जरूरी हैं।
नए मानकों में कारोबार के लिहाज से संवेदनशील आंकड़ों, सत्यापित न की जा सकने वाली जानकारी और अनुमानों को शामिल नहीं किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल जरूरी और विश्वसनीय पैमानों का ही खुलासा किया जाए। दिशा-निर्देशों के तहत जारीकर्ता कंपनी के प्रबंधन द्वारा चिन्हित या प्रमाणित केपीआई को पेशकश दस्तावेज में शामिल करने से पहले उनका लेखा परीक्षा समिति से अनुमोदन जरूरी होगा।
कंपनियों को उन ‘ऑपरेशनल उपायों’ का भी खुलासा करना होगा जो मूल्यांकन और बिजनेस मॉडलों के बारे में समझ मुहैया कराते हों। कंपनियों को उन निवेशकों के बारे में प्रमुख जानकारियां साझा करनी चाहिए जिन्हें ऑफर दस्तावेज दाखिल करने से तीन साल पहले किसी भी प्राथमिक निर्गम में प्रतिभूतियां आवंटित की गई थीं। हालांकि इसमें कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना (ईएसओपी) शामिल नहीं है। इसमें सेकंडरी बिक्री के दौरान उपलब्ध कराए गए विवरण और ऐसे निवेशकों को दिए गए किसी भी तरह के राइट्स भी शामिल हैं। केपीआई में उसी तीन वर्ष की अवधि के दौरान जारी किए गए निजी प्लेसमेंट या राइट्स इश्यू प्रस्ताव पत्रों से प्राप्त जानकारी भी शामिल होनी चाहिए।
साइरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर और रीजनल सह-प्रमुख गोकुल राजन ने कहा, ‘नए केपीआई मानक तुलना योग्य कंपनियों के खुलासों पर जोर देते हैं, हालांकि वैश्विक कंपनियों के बारे में अस्पष्टता बनी हुई है। स्पष्ट परिभाषाओं और बढ़ी हुई ऑडिट समिति की निगरानी की आवश्यकता से इन पैमानों में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।’ दिशा-निर्देशों में यह भी अनिवार्य बनाया गया है कि पेशकश दस्तावेज में खुलासे से जुड़े केपीआई को किसी पेशेवर से प्रमाणित कराया जाए।
