सोमवार को इंडेक्स के शेयरों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले शेयरों में एक रिलायंस इंडस्ट्रीज रही। बीएसई सेंसेक्स में 0.15 फीसदी की गिरावट के मुकाबले कारोबारी सत्र में इसमें 2.4 फीसदी की गिरावट आई। इसके साथ ही पिछले साल मार्च के अंत से अब तक आरआईएल में 21.2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, जबकि इंडेक्स में 0.8 फीसदी की नरमी हुई है।
कंपनी का शेयर अब पिछले 17 महीनों (नवंबर 2023 से) के बाद से सबसे निचले स्तर पर है जो सूचकांक से पिछड़ा हुआ है जबकि सूचकांक इस अवधि में करीब 9 फीसदी ऊपर रहा है। आरआईएल के शेयर मूल्य में हालिया गिरावट और बाजारों में इसके खराब प्रदर्शन का कारण कंपनी की कमजोर आय वृद्धि और इसके इक्विटी मूल्यांकन और प्रमुख लाभप्रदता और इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) जैसे वित्तीय अनुपात के बीच बढ़ता अंतर है।
करीब दो साल में आरआईएल ने तिमाही शुद्ध लाभ पिछले 12 महीनों के आधार पर मजबूत किया है लेकिन पिछले साल जून तक इसका शेयर मूल्य एक नया उच्च स्तर बना रहा था, जिससे आय और बाजार पूंजीकरण के बीच बड़ा अंतर पैदा हो रहा था। मार्च 2020 और जून 2023 के बीच कंपनी का शुद्ध लाभ (टीटीएम आधार पर) संचयी रूप से 65 फीसदी बढ़ा था। लेकिन इस अवधि में इसके शेयर की कीमत में 145 फीसदी की तेजी आई। आरआईएल के शेयर में हाल में आई गिरावट ने दोनों के बीच के अंतर को काफी हद तक कम कर दिया है।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कंपनी पर अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले कुछ वर्षों में कमजोर प्रदर्शन किया है और कैलेंडर वर्ष 24 में नकारात्मक रिटर्न दिया है जो पिछले 10 वर्षों में पहली बार हुआ है। हमारा मानना है कि रिलायंस रिटेल की वृद्धि में नरमी और रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्रैक्स में कमजोरी के कारण आय में लगातार गिरावट हुई जिससे आरआईएल का हालिया प्रदर्शन कमजोर हुआ है।
अन्य विश्लेषकों ने भी आरआईएल के पीई गुणक और इक्विटी पर उसके सापेक्ष रिटर्न के अंतर को बताया है। लाभ आदि की माप करने के लिहाज से अहम आरआईएल का इक्विटी पर रिटर्न करीब दो साल में एक अंक में रहा है क्योंकि शुद्ध लाभ उसकी बैलेंस शीट और शेयरधारकों की पूंजी में विस्तार के हिसाब से रफ्तार पकड़ने में नाकाम रहा। हालांकि कंपनी की पीई गुणक इस अवधि में काफी ऊंचे रहे।
कंपनी का मौजूदा आरओई (वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही की बैलेंस शीट और वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही के आधार पर) करीब 8.44 फीसदी है जो उसके 15 साल के औसत आरओई 11 फीसदी से करीब 250 आधारअंक कम है। इसकी तुलना में आरआईएल अभी 22.9 गुना पीई पर कारोबार कर रहा है जो उसके 15 साल के औसत 19.2 गुने से 270 आधार अंक ज्यादा है। एक शोध विश्लेषक ने कहा, मोटे तौर पर ज्यादा आरओई वाली कंपनी ऊंचे पीई गुणक पर कारोबार करती है और इसके विपरीत हालात में गुणक भी
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