28 फरवरी को 908 शेयर 52-हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गए। बाजार में लगातार बिकवाली जारी रही। इस बिकवाली के चलते मार्केट कैप में 8.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। गिरने वाले निफ्टी के दिग्गजों में टाटा मोटर्स सबसे आगे रहा। ये 4 फीसदी गिरकर 623 रुपये पर आ गया। जबकि अन्य शेयरों में एसीसी,आरती ड्रग्स, आरती इंडस्ट्रीज, 5 पैसा, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, एबीबी इंडिया, 3एम इंडिया और टिमकेन में भी भारी गिरावट हुई।
ग्लोबल ट्रेड वॉर की बढ़ती आशंकाओं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की चिंताओं के बीच आई भारी बिकवाली के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 2 प्रतिशत की गिरावट आई। सभी 13 प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। बीएसई स्मॉलकैप और बीएसई मिडकैप इंडेक्स भी 2.5 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की कमजोरी लेकर बंद हुए।
आईटी शेयरों को सबसे ज़्यादा झटका लगा,अमेरिका में कमज़ोर जॉबलेस क्लेम आंकड़ों के बाद मंदी की आशंकाओं के चलते इस सेक्टोरल इंडेक्स में 4 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई। इसपूरे हफ़्ते बिकवाली का सिलसिला बढ़ता रहा जिससे आईटी इंडेक्स में करीब 8 प्रतिशत की गिरावट आई जो कि निफ्टी 50 की 2 प्रतिशत की गिरावट से कहीं ज़्यादा है।
बैंकिंग शेयर भी संघर्ष करते दिखे। निफ्टी बैंक इंडेक्स में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि इसके 12 में से 11 घटक लाल निशान पर बंद हुए। अन्य सेक्टर भी इससे अछूते नहीं रहे, निफ्टी ऑटो, एफएमसीजी, पीएसयू बैंक, हेल्थकेयर, ऑयल एंड गैस और मीडिया इंडेक्स में 2-4 प्रतिशत की गिरावट आई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 27 फरवरी को टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद यह मंदी और बढ़ गई। उन्होंने 4 मार्च से मैक्सिकन और कनाडाई आयातों पर 25 प्रतिशत का नया शुल्क लगाने की घोषणा की है। साथ ही चाइनीज वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। इस महीने की शुरुआत में फेंटेनाइल से संबंधित टैरिफ लगाए जाने के बाद चीनी आयातों पर कुल शुल्क दोगुना होकर 20 प्रतिशत हो गया है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने फरवरी में भारतीय बाजार में 58,906 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने बाजार में उथल-पुथल के बीच 64,852 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी करके इस झटके को कम करने का प्रयास किया है।
खास बात ये है कि कल की गिरावट निफ्टी के लगातार पांच महीने तक एफएंडओ एक्सपायरी साइकिल में गिरावट के ठीक एक दिन बाद देखने को मिली है,जो 29 सालों में सबसे खराब मासिक गिरावट का दौर है। इस तरह की गिरावट बड़ी मुश्किल से देखने को मिलती है। पिछली बार निफ्टी में लगातार पांच महीने की गिरावट जुलाई और नवंबर 1996 के बीच आई थी। इससे पहले, सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 तक आठ महीने तक की सबसे लंबी गिरावट देखने को मिली थी।
छोटे और मझोले आकार के शेयर आमतौर पर बाजार में गिरावट के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इस साल भी ये बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इनमें 14 प्रतिशत और 19.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। मार्केट एक्सपर्ट्स की राय है कि इस तेज करोक्शन के बावजूद मिड और स्मॉलकैप का वैल्यूएशन अभी भी ऊंचा बना हुआ है। ऐसे में निवेशकों को मिड और स्मॉलकैप शेयरों में सावधानी से कदम उठाने की सलाह दी रही है। ग्लोबल बाजारों में अनिश्चितता का माहौल है और भारत कई सालों के अपने सबसे चुनौतीपूर्ण बाजार दौर से गुजर रहा है,ऐसे में बाजार में स्थिरता लौटने का रास्ता लंबा हो सकता है।
डिस्क्लेमर: stock market news पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को stock market news की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
