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क्या सिर्फ एक वजह से 28 फरवरी को क्रैश कर गए Nifty और Sensex?

इंडियन स्टॉक मार्केट में 28 फरवरी को जिस तरह की गिरावट आई, उसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा। इस गिरावट की वजहों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। सबसे बड़ी वजह विदेशी फंडों की बिकवाली हो सकती है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 28 फरवरी को इंडियन मार्केट में 11,639 करोड़ रुपये की बिकवाली की। यह इस हफ्ते एफआईआई की कुल बिकवाली के 50 फीसदी से ज्यादा है। इस हफ्ते विदेशी फंडों ने कुल 22,011.38 करोड़ रुपये की बिकवाली की।

इस हफ्ते सिर्फ 4 दिन ट्रेडिंग

इस हफ्ते स्टॉक मार्केट्स में चार दिन ट्रेडिंग हुई। 26 फरवरी को महाशिवरात्री के उपलक्ष्य में स्टॉक एक्सचेंजों में अवकाश था। ट्रेडिंग के चारों दिन FII ने बिकवाली की। विदेशी संस्थागत निवेशक इंडियन मार्केट की ज्यादा वैल्यूएशन की वजह से बिकवाली कर रहे थे। इधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर बढ़ती चिंता ने बिकवाली बढ़ा दी है। अमेरिकी बाजारों में बड़ी बिकवाली का असर भी इंडियन मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है।

 

27 फरवरी को यूएस मार्केट में बड़ी गिरावट

27 फरवरी को अमेरिकी स्टॉक मार्केट का प्रमुख सूचकांक Nasdaq 550 प्वाइंट्स क्रैश कर गया। डाओ जोंस सिर्फ 200 प्वाइंट्स गिरकर बंद हुआ, लेकिन कारोबार के दौरान यह अपने हाई लेवल से 650 प्वाइंट्स से ज्यादा गिरा। नैस्डेक में बड़ी गिरावट की वजह Nvidia के शेयरों में आई 8.5 फीसदी गिरावट को माना जा रहा है। नैस्डेक में गिरावट का असर 28 फरवरी को इंडियन आईटी कंपनियों के स्टॉक्स पर भी पड़ा। निफ्टी आईटी इंडेक्स 4 फीसदी क्रैश कर गया।

ग्लोबल ट्रेड वॉर की चिंता से बिकवाली

ट्रंप ने एक बार फिर मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी। इससे दुनिया में ट्रेड वॉर बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। इसका सीधा असर सप्लाई चेन पर पड़ेगा। इसका मतलब है कि कई कमोडिटी और दूसरी चीजों की सप्लाई में बाधा आएगी। इससे इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं। ट्रेड वॉर बढ़ने के डर से FIIs ने इंडियन मार्केट में बड़ी बिकवाली की। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 12,308.63 करोड़ रुपये की खरीदारी कर मार्केट को सहारा दिया। इस हफ्ते घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 22,252.17 करोड़ रुपये की खरीदारी की है।

निवेशकों को धैर्य बनाए रखने की सलाह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इंडियन मार्केट में बीते 29 साल का सबसे बड़ा करेक्शन है। लेकिन, इनवेस्टर्स को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हर गिरावट के बाद मार्केट में रिकवरी आती है। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है। इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। तीसरी तिमाही में इंडिया की जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रही है। निवेशकों को गिरावट के बीच अपना धैर्य बनाए रखने की जरूरत है।

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