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Axis Finance में 50% हिस्सेदारी बेच सकता है Axis Bank, कार्लाइल और एडवेंट इंटरनेशनल से बातचीत

प्राइवेट सेक्टर के एक्सिस बैंक (Axis Bank) ने अपनी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी एक्सिस फाइनेंस (Axis Finance) को अलग करने की प्रक्रिया औपचारिक तौर पर शुरू कर दी है। इस NBFC के कंट्रोल की पेशकश करने वाले लेनदेन के लिए बैंक ने कार्लाइल और एडवेंट इंटरनेशनल सहित वित्तीय निवेशकों के साथ बातचीत की है। मनीकंट्रोल को यह बात मामले की जानकारी रखने वालों से मिली है। एक व्यक्ति ने कहा, “एक्सिस बैंक, एक्सिस फाइनेंस में कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा है। कार्लाइल और एडवेंट इंटरनेशनल के साथ शुरुआती चर्चा हुई है।

एक्सिस बैंक ने बिक्री प्रक्रिया के लिए मॉर्गन स्टेनली को नियु​क्त किया है। यह सौदे के लिए वित्तीय निवेशकों, मुख्य रूप से विदेशी प्राइवेट इक्विटी कंपनियों से संपर्क कर रही है। सूत्रों का कहना है कि टेमासेक से भी सौदे के लिए संपर्क किया गया है। डील की बातचीत की जानकारी रखने वाले एक इनवेस्टमेंट बैंकर ने कहा, “अगर वैल्यूएशन आकर्षक है, तो बैंक इस कारोबार से पूरी तरह बाहर निकलने पर भी विचार कर सकता है।”

कितनी वैल्यूएशन पर है एक्सिस बैंक की नजर

एक्सिस बैंक अपने पूर्ण मालिकाना हक वाली सहायक कंपनी एक्सिस फाइनेंस के लिए 1.2-1.4 अरब डॉलर (10,000-12,000 करोड़ रुपये) की वैल्यूएशन का लक्ष्य बना रहा है। वित्त वर्ष 2025 में 5,200 करोड़ रुपये की अनुमानित नेटवर्थ के हिसाब से वैल्यूएशन, प्राइस टू बुक मल्टीपल के 2 गुना से थोड़ा अधिक है। सूत्रों में से एक ने कहा कि बातचीत अभी शुरुआती दौर में है और सौदे को सफल होने में 6-9 महीने लग सकते हैं।

एक्सिस फाइनेंस को एक्सिस बैंक की सहायक कंपनी के रूप में 2010 में शुरू किया गया था। एक्सिस फाइनेंस के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) 31 दिसंबर, 2024 तक 39,700 करोड़ रुपये थे। वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2024 के बीच एक्सिस बैंक ने एक्सिस फाइनेंस में 1,100 करोड़ रुपये डाले। नवंबर 2024 में बैंक ने एनबीएफसी में 598 करोड़ रुपये का निवेश किया।

एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी ने 3 जनवरी, 2025 को मनीकंट्रोल को एक इंटरव्यू में बताया था कि एक्सिस फाइनेंस के भाग्य के बारे में अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा था, “हम लगातार एक्सिस फाइनेंस में इक्विटी डाल रहे हैं। आरबीआई हमसे कह रहा है कि वह नहीं चाहेगा कि हम इस सहायक कंपनी में पैसा लगाना जारी रखें।” आगे कहा था कि किसी न किसी स्तर पर आरबीआई चाहेगा कि बैंक, एनबीएफसी में अपनी हिस्सेदारी कम करे।

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