मार्केट में गिरावट से निराश निवेशकों को सिटी की रिपोर्ट से बड़ी राहत मिलेगी। सिटी ने इस साल दिसंबर तक निफ्टी के 26000 प्वाइंट्स तक पहुंच जाने की उम्मीद जताई है। इसका मतलब है कि इनवेस्टर्स के लॉस की भरपाई हो जाएगी। सिटी ने अपनी नई रिसर्च रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। उसने इंडिया की रेटिंग भी बढ़ाई है। इसे ‘ओवरवेट’ से बढ़ाकर ‘न्यूट्रल’ कर दी है। सिटी ने कहा है कि इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव है। इनकम टैक्स में कमी के बाद कंजम्प्शन बढ़ेगा। आरबीआई इस महीने की शुरुआत में इंटरेस्ट रेट 25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा चुका है। अगले तीन महीनों में केंद्रीय बैंक रेपो रेट में और 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर सकता है।
Citi ने कहा है कि वैल्यूएशन ज्यादा नहीं होने की वजह से Indian Markets में तेजी की अच्छी गुंजाइश है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि Nifty 50 इस साल दिसंबर तक 26,000 के लेवल पर पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि दिसंबर तक निफ्टी 50 मौजूदा लेवल से करीब 15 फीसदी चढ़ सकता है। मार्केट में लगातार गिरावट के बीच सिटी की यह रिपोर्ट राहत देने वाली है। 25 फरवरी को भी शुरुआती कारोबार में मिलाजुला रुख देखने को मिला। निफ्टी लाल निशान में था, जबकि Sensex हल्की तेजी दिखा रहा था। यह मार्केट पर दबाव का संकेत है, क्योंकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक काफी नीचे थे।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन मार्केट्स की पोजीशन अपेक्षाकृत बेहतर है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर चिंता बनी हुई है। लेकिन, इंडियन इकोनॉमी की स्थिति दूसरे देशों से अलग है। इंडियन इकोनॉमी में घरेलू मांग की बड़ी हिस्सेदारी है। ग्लोबल ट्रेड का इकोनॉमी में कम योगदान है। इसलिए अगर दुनिया में टैरिफ वॉर बढ़ता है तो उसका इंडिया पर दूसरे देशों के मुकाबले कम असर पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के ऐलान ने दुनिया में हलचल मचा दी है। इससे दुनियाभर के इनवेस्टर्स डरे हुए हैं। सिटी के स्ट्रेटेजिस्ट सुरेंद्र गोयल ने कहा है कि इंडियन कंपनियों का अमेरिका और चीन के साथ व्यापार से काफी कम सीधा संबंध है। इसका मतलब है कि अगर टैरिफ को लेकर दुनिया में तनाव बढ़ता है तो उसका इंडिया पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि इंडिया के पक्ष में तीन बड़ी चीजें दिख रही हैं। पहला, सरकार ने इनकम टैक्स में बड़ी कमी की है। इससे कंजम्प्शन बढ़ेगा। सरकार का पूंजीगत खर्च बढ़ने जा रहा है। तीसरा, RBI ने इंटरेस्ट रेट घटाना शुरू कर दिया है।
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