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Tesla की एंट्री से लुढ़केंगे Auto Stocks? M&M, Tata Motors, Maruti में लगाया है पैसा तो जरूर पढ़ें ये रिपोर्ट

 

Tesla in India: अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला की भारत में संभावित एंट्री को लेकर ब्रोकरेज फर्मों की अलग-अलग राय सामने आई है. हाल ही में सरकार द्वारा ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) से जुड़ी नीतियों में बदलाव किए गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है.

CLSA का नजरिया

CLSA का मानना है कि टेस्ला की एंट्री से भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों (OEMs) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, देश में प्रीमियम कारों की मांग बढ़ने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ईवी का पेनिट्रेशन अभी केवल 2.4% है, जो अमेरिका और चीन की तुलना में काफी कम है.

CLSA का मानना है कि आयात नीति में बदलाव के बावजूद भारतीय कंपनियों पर टेस्ला की एंट्री का ज्यादा असर नहीं होगा. टेस्ला को भारत में 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा. ब्रोकरेज का यह भी कहना है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) के शेयरों में पहले से ही टेस्ला की एंट्री की आशंका को शामिल कर लिया गया था, इसलिए हाल की गिरावट चिंता का विषय नहीं है. CLSA के अनुसार, टेस्ला को अपनी कारों की कीमत 35-40 लाख रुपये (ऑन-रोड) के बीच रखनी होगी.

Nomura की राय

Nomura का मानना है कि सरकार की नई ईवी नीति से इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाया जाना संभव है. इसके अलावा, टेस्ला के साथ-साथ अन्य वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियां भी भारत में निवेश करने पर विचार कर सकती हैं. हालांकि, ब्रोकरेज को उम्मीद नहीं है कि टेस्ला अपनी कारों को 21 लाख रुपये की कीमत पर लॉन्च करेगी.

Nomura के अनुसार, टेस्ला की एंट्री से Sona BLW, Sansera Engineering और Samvardhan Motherson जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है, क्योंकि इन कंपनियों के पास ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मजबूत पकड़ है.

Jefferies का नजरिया

Jefferies का मानना है कि M&M के शेयरों में आई गिरावट निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा मौका है. ब्रोकरेज के अनुसार, M&M का वैल्यूएशन 20x FY26E पीई पर आकर्षक दिखता है. इसके अलावा, यह कंपनी Hyundai और Maruti Suzuki की तुलना में बेहतर स्थिति में है.

कुल मिलाकर, ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि टेस्ला की एंट्री से भारतीय ईवी बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लेकिन इसका ट्रेडिशनल भारतीय वाहन निर्माताओं पर सीधा असर थोड़ा कम रह सकता है. हालांकि, नई नीति से अन्य वैश्विक कंपनियों को भी भारत में निवेश का अवसर मिल सकता है. निवेशकों के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भारतीय ईवी बाजार किस दिशा में आगे बढ़ता है.

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