Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजार पर भारी दबाव बना हुआ है. देखा जाए तो सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. बीच-बीच में गिरावट की स्पीड कम जरूर हो रही है, लेकिन पिछले साल की तरह तेजी नहीं देखने को मिल रही है. सोमवार को S&P BSE सेंसेक्स 800 अंक से अधिक टूटा, जबकि निफ्टी 50 में 240 अंकों की गिरावट देखी गई. अगर फरवरी में निफ्टी-50 लाल निशान में बंद होता है, तो यह लगातार पांचवां महीना होगा, जब बाजार निगेटिव में क्लोजिंग करता दिखाई देगा.
यह दलाल स्ट्रीट पर बढ़ते दबाव और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली का संकेत देता है. अक्टूबर 2024 से अब तक, FIIs भारतीय शेयर बाजार से ₹2 लाख करोड़ से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं. इसके अलावा, कमजोर रुपया और अन्य बाजारों में बेहतर अवसरों के कारण भारत जैसे उभरते बाजारों से निवेशक पैसा निकाल रहे हैं. चलिए उन 5 कारण को समझ लेते हैं, जो बाजार को घायल कर रहे हैं.
1. मार्केट का ओवरवैल्यूड होना बना कारण
निफ्टी-50 ने 5 या उससे अधिक महीने तका लगातार गिरावट केवल दो बार पहले देखी है. इस साल अब तक निफ्टी 5% तक गिर चुका है, और पिछले छह महीनों में यह लगभग 10% कमजोर हुआ है. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी की मानें तो निफ्टी के लिए अगला बड़ा सपोर्ट 22100-22300 की रेंज में नजर आ रहा है. वहीं, बैंक निफ्टी पर अगला बड़ा सपोर्ट 47850-48050 की रेंज में दिख रहा है.
2. चीन का तेजी से उभरना
भारतीय बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण चीनी बाजारों में तेज रिकवरी भी है. चीन के शेयर बाजार में पिछले एक महीने में $2 ट्रिलियन की बढ़त हुई है, जबकि भारत का मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर घटा है. हांग सेंग इंडेक्स ने पिछले एक महीने में 18.7% की तेजी दर्ज की है, जबकि इसी अवधि में निफ्टी 50 में 1.55% की गिरावट आई है. Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि चीनी शेयरों की मजबूती निकट भविष्य में भारत के लिए एक और चुनौती बन सकती है. ‘Sell India, Buy China’ ट्रेंड अभी कुछ समय तक जारी रह सकता है.
3. IT शेयरों में गिरावट बना विलेन
IT शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, जो बाजार की बिकवाली का सबसे बड़ा कारण बना. इसके पीछे अमेरिकी लोगों द्वारा खर्च में कटौती करना भी था. अमेरिका की University of Michigan Consumer Sentiment Index जनवरी के 71.7 से गिरकर फरवरी में 64.7 हो गई, जो पिछले 15 महीनों का निचला स्तर है. अमेरिका में कमजोर ग्रोथ और बढ़ती महंगाई के कारण FIIs सुरक्षित संपत्तियों (डॉलर, ट्रेजरी) की ओर रुख कर रहे हैं. 28 फरवरी को अमेरिका में महंगाई का डेटा आने वाला है. जिससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है.
4. ट्रंप का टैरिफ वॉर
अमेरिका और यूरोप के बीच टैरिफ विवाद ने ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितता पैदा कर दी है, जिसका असर सोने की कीमतों पर पड़ रहा है. इस बात की चिंता है कि ट्रम्प प्रशासन हाल ही में एल्युमीनियम और स्टील पर 25% आयात शुल्क लगाने के बाद सोने पर भी टैरिफ लगा सकता है. इस आशंका ने अमेरिका में मांग को बढ़ावा दिया है, जिससे सोने की कीमतें बढ़ गई हैं. जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में सोने की कीमतें आम तौर पर एक-दूसरे के साथ-साथ चलती हैं, मौजूदा मूल्य असमानता ने प्रमुख बैंकों को लंदन के वॉल्ट से न्यूयॉर्क में सोना ट्रांसफर करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे उच्च कीमतों का लाभ उठाया जा सके. अगर ट्रंप प्रशासन द्वारा सोने पर टैरिफ लगाने को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आता है तो सोने की कीमतों में तेजी और बाजार में गिरावट आगे भी जारी रह सकती है.
5. गोल्ड डिमांड में तेजी
बाजार में जारी गिरावट के बीच गोल्ड की डिमांड में तेजी देखने को मिली है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज सर्विसेज लिमिटेड के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी कहते हैं कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपना गोल्ड रिजर्व भर रहे हैं. जिससे गोल्ड की कीमतें आसामन छू रही हैं और बाजार के प्रति गिरावट को और बल दे रही हैं. इस तेजी से छोटे और घरेलू निवेशक भी बाजार में अपना हाथ जल जाने के डर से घबरा रहे हैं.
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