Share Markets: भारतीय शेयर बाजार में आज लगातार चौथे दिन गिरावट जारी है। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 535.87 अंक गिरकर 75,200.09 पर आ गया। वहीं निफ्टी भी 179.85 अंक टूटकर 22,733.30 पर आ गया। छोटे और मझोले शेयरों में जमकर बिकवाली देखने को मिली। यहां तक निफ्टी के 13 में 12 सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सेंसेक्स के शेयरों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट, इंफोसिस, टाटा मोटर्स और मारुति सुजुकी में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली।
आइए जानते हैं कि शेयर बाजार में इस गिरावट के पीछे 5 प्रमुख कारण क्या रहे-
1) ट्रंप की टैरिफ धमकियां
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर रेसिप्रोकल टैरि लगाने के अपने रुख को दोहराया है, जिसके चलते निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है। अगर यह टैरिफ लगाया जाता है तो, फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर को खासतौर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर, डॉ वीके विजयकुमार ने कहा कि बााजार इस रेसिप्रोकल टैरिफ के तमाम इंडस्ट्री पर पड़ने वाले असर को देखते हुए नेगेटिव प्रतिक्रिया दे रहा है। उन्होंने कहा, “लेकिन यह एक शॉर्ट-टर्म ट्रेंड हो सकता है क्योंकि ट्रंप कई बार रणनीति के तौर पर टैरिफ की धमकी देते हैं, जिसका इस्तेमाल वे सौदेबाजी में करते हैं।”
2) विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली थमती नहीं दिख रही है। गुरुवार को उन्होंने 3,311.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस साल अब तक विदेशी निवेशकों की कुल बिकवाली 98,229 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। एनालिस्ट्स का मानना है कि FIIs की लगातार बिकवाली के बावजूद स्मॉलकैप मिडपैक शेयरों का वैल्यूएशन अभी भी बढ़ा हुआ दिख रहा है। इस बीच तीसरी तिमाही के कमजोर नतीजों और मजबूत अमेरिकी डॉलर ने सेंटीमेंट को और प्रभावित कर दिया है।
3) चीन के शेयर बाजार में बढ़ती दिलचस्पी
चीन के शेयर बाजारों में खरीदारी की दिलचस्पी फिर से बढ़ रही है। हैंग सेंग इंडेक्स में शुक्रवार को 3 प्रतिशत से अधिक की तेजी देखने को मिली। निवेशकों को चीनी इक्विटी का वैल्यूएशन अधिक आकर्षक लग रहा है। इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंह ने एक अहम घटनाक्रम के तहत अलीबाबा के फाउंडर जैक मा सहित कई देश के तमाम टेक उद्योपतियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने चाइनीज कंपनियों से “अपनी प्रतिभा दिखाने” और चीन के आर्थिक मॉडल में विश्वास रखने की अपील की।
विजयकुमार ने कहा, “भारत में FIIs की बिकवाली जारी रह सकती है, क्योंकि निवेशक चीन की ओर देख रहे हैं, जहां शेयर तुलनात्मक रूप से सस्ते हैं और सुधार के संकेत दे रहे हैं।”
4) कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे कारोबार में तेजी जारी रही, जिससे भारतीय बाजारों के लिए चिंता बढ़ गई। रूस में सप्लाई से जुड़ी चिंताओं के चलते गुरुवार को ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स में तेजी देखने को मिली। भारत क्रूड ऑयल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। ऐसे में इसका दाम बढ़ने से देश के ट्रेड बैलेंस पर नेगेटिव असर पड़ता है। इसके अलवा क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें महंगाई पर भी दबाव डाल सकती है, जिसके चलते ब्याज दरें लंबी समय तक ऊंची बनी रह सकती है और कंपनियों की आय पर भी इसका असर पड़ सकता है। खासतौर पर एविशएन, लॉजिस्टिक्स और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मुनाफे पर।
5) ब्याज दरों में कटौती की कमजोर उम्मीदें
अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े उम्मीद से अधिक रहे हैं। इसके चलते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कमजोर पड़ गई हैं। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंड (रिसर्च) प्रशांत तापसे ने कहा, “वॉल स्ट्रीट की रातोंरात गिरावट, ट्रम्प की टैरिफ धमकियों, अमेरिकी महंगाई दर के ऊंची बने रहना और ब्याज दरों में कटौती पर फेड के सतर्क रुख ने बाजार में उठापटक को बढ़ा दिया है।”
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