इंडियन मार्केट्स करीब 5 महीनों से गिर रहा है। सितंबर 2024 में सेंसेक्स और निफ्टी ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गए थे। तब से दोनों सूचकांक 12 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। मिडकैप सूचकांक इस दौरान करीब 17 फीसदी टूटा है, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स में 21 फीसदी गिरावट आई है। कुछ सेक्टर्स और स्टॉक्स में इससे ज्यादा गिरावट आई है। पावर सेक्टर पर गिरावट की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। पावर कंपनियों के स्टॉक्स अपने पीक से 30 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं।
इन सेक्टर्स में बड़ी गिरावट
ऑयल एंड गैस, रियल्टी और कैपिटल गुड्स स्टॉक्स में करीब 25-30 फीसदी गिरावट आई है। बीएसई में लिस्टेड हर 3 कंपनियों से दो के स्टॉक्स अपने पीक से 25-50 फीसदी तक गिरे हैं। इस गिरावट ने निवेशकों को निराश किया है। खासकर नए इनवेस्टर्स इस गिरावट से ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि उन्होंने अब तक बेयर मार्केट को नहीं देखा था। ज्यादा प्राइस पर शेयरों में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स बुरा फंसे हैं। सवाल है कि क्या बाजार अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है या अभी और गिरावट आने वाली है?
घरेलू संस्थागत निवेशकों का मिला सहारा
स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर रुपये पर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले रुपया गिरा है। इससे इंपोर्ट करना महंगा हो गया है। इसका असर ट्रेड डेफिसिट पर पड़ेगा। इधर, कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ तीसरी तिमाही में भी कमजोर रही है। यील्ड जब से बढ़नी शुरू हुई है तब से विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इंडियन मार्केट्स में करीब 3 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। इस बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार खरीदारी कर मार्केट को बड़ा सहारा दिया है।
चिंता बढ़ाने वाली बातें
हालिया गिरावट के बाद लार्जकैप और मिडकैप स्टॉक्स 5 साल की अपनी मीडियन वैल्यूएशन से नीचे आ गए हैं। यह राहत की बात है। लेकिन, अर्निंग्स अब भी कमजोर बनी हुई है, जिससे अब भी स्टॉक्स की वैल्यूएशन महंगी बनी हुई हैं। पिछले दो साल से रेवेन्यू ग्रोथ 10 फीसदी से नीचे बनी हुई है। अगर मीडियम और लॉन्ग टर्म की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी, अमेरिका में ज्यादा यील्ड और यूरोप में सुस्त पड़ती ग्रोथ चिंता की वजहें हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
वैल्यूएशन और टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मार्केट संभवत: अपने निचले स्तर के करीब पहुंच चुका है। लेकिन, जमीनी हकीकत स्टॉक्स को चढ़ने नहीं दे रही। ऐसे में अगर शेयरों की कीमतों में आगे गिरावट नहीं आती है तो भी उनके सीमित दायरे में बने रहने की संभावना है। जब तक मौजूदा वैल्यूएशन के हिसाब से अर्निंग्स ग्रोथ नहीं बढ़ जाती है तब तक मार्केट सीमित दायरे में चढ़ता-उतरता रह सकता है। इस बीच, इंडिया की लंबी अवधि की ग्रोथ स्टोरी को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है। इसलिए निवेशक इस मौके का इस्तेमाल अच्छी कपनियों के स्टॉक्स में अट्रैक्टिव वैल्यूएशन पर इनवेस्ट करने के लिए कर सकते हैं।
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