Gold Price: वैश्विक बाजारों में गोल्ड की जबरदस्त मांग देखी जा रही है, जिससे फिजिकल गोल्ड की कमी को लेकर चिंता बढ़ रही है. हाल ही में COMEX (Commodity Exchange) पर सोने की रिकॉर्ड मांग देखने को मिली है, जबकि रिफाइनर्स डिलीवरी में देरी और अतिरिक्त शुल्क लगा रहे हैं. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ को लेकर आशंका बढ़ने से निवेशकों का ध्यान सोने की ओर गया है. चीन और दक्षिण कोरिया में गोल्ड सप्लाई की कमी की खबरें भी बाजार को प्रभावित कर रही हैं. लंदन वॉल्ट्स और रिफाइनरीज के सरचार्ज लगाने के चलते गोल्ड डिलीवरी के लिए 3-4 हफ्ते का इंतजार करना पड़ रहा है.
रिफाइनरीज ने लगाया अतिरिक्त शुल्क
गोल्ड की बढ़ती मांग को देखते हुए स्विस रिफाइनरीज ने सोने और चांदी की रिफाइनिंग पर अतिरिक्त चार्ज लगाना शुरू कर दिया है. स्विस रिफाइनरी ने गोल्ड पर $3.5/ औंस चार्ज लगाया. 20 फरवरी से चांदी (सिल्वर) पर $3/औंस चार्ज लागू होगा. एक स्विस रिफाइनरी ने 50 ग्राम और 100 ग्राम के सभी ऑर्डर सस्पेंड कर दिए हैं, जिससे छोटे निवेशकों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
कारोबारी कमा रहे हैं मोटा मुनाफा
गोल्ड मार्केट में असमानता का फायदा कई व्यापारी और निवेशक उठा रहे हैं. फ्यूचर गोल्ड की तुलना में स्पॉट गोल्ड सस्ता मिल रहा है, जिससे निवेशकों को आकर्षक मौके मिल रहे हैं. लंदन में सस्ता सोना खरीदकर अमेरिकी बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है. फिजिकल गोल्ड की मांग पेपर गोल्ड की तुलना में काफी अधिक हो गई है. अमेरिका में संस्थागत डिमांड तेजी से बढ़ रही है. फरवरी में COMEX पर 200 टन गोल्ड की डिलीवरी डिमांड रही, जबकि पिछले दो महीनों में 500 टन सोने की डिलीवरी पूरी की गई.
फिजिकल बनाम पेपर गोल्ड: बाजार में उठ रहे सवाल
गोल्ड डेरिवेटिव ट्रेड में अमेरिकी बैंकों की बड़ी हिस्सेदारी बनी हुई है. JP मॉर्गन, HSBC और UBS जैसे बड़े बैंकों के पास फिजिकल गोल्ड की होल्डिंग है. अमेरिकी बैंक बैंक ऑफ इंग्लैंड पर गोल्ड डिलीवरी के लिए पूरी तरह निर्भर हैं. LBMA (London Bullion Market Association) पर सोने की कीमतों को नियंत्रित करने का आरोप भी लग रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पेपर गोल्ड को असली मुद्रा की तरह इस्तेमाल किए जाने की रणनीति अपनाई जा रही है.
क्यों होल्ड किया जा रहा है गोल्ड?
गोल्ड मार्केट में बड़े स्तर पर गोल्ड स्टॉकिंग हो रही है. नवंबर 2024 से 12.5 मिलियन औंस गोल्ड और 40 मिलियन औंस चांदी COMEX में शिफ्ट की जा रही है. JP मॉर्गन $4 बिलियन का गोल्ड COMEX में शिफ्ट करेगा. अमेरिका में 8,000 टन गोल्ड रिजर्व होने का दावा किया जा रहा है. बढ़ते अमेरिकी कर्ज के चलते 2035 तक नेट इंटरेस्ट कॉस्ट $1.8 ट्रिलियन तक पहुंचने की आशंका है. हाल ही में GLD (गोल्ड ETF) से 16 टन सोना निकाला गया, जिससे संकेत मिलता है कि बड़े निवेशक ETF से पैसा निकालकर फिजिकल मेटल में निवेश कर सकते हैं.
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— Zee Business (@ZeeBusiness) February 20, 2025
गोल्ड होल्डिंग में क्यों बढ़ोतरी हो रही है?
डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ वॉर से बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है. वैश्विक बैंकों और संस्थागत निवेशकों ने रिस्क कम करने के लिए सोने की खरीद बढ़ा दी है. अमेरिकी चुनाव के बाद गोल्ड इन्वेंट्री में 75% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अमेरिका में सोने की बढ़ती मांग से लंदन के गोल्ड मार्केट पर दबाव बढ़ गया है. कुल मिलाकर, गोल्ड बाजार में फिजिकल गोल्ड की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे कीमतों में उछाल और डिलीवरी में देरी देखी जा रही है. COMEX और लंदन के बाजारों में गोल्ड की होल्डिंग बढ़ने से यह संकेत मिल रहा है कि बड़े निवेशक सोने को सुरक्षित संपत्ति मान रहे हैं. आने वाले महीनों में अमेरिकी नीतियों, ग्लोबल सप्लाई और सेंट्रल बैंकों की रणनीतियों के आधार पर सोने की कीमतों में और उथल-पुथल देखने को मिल सकती है.
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