कैसे हुआ नुकसान?
दिसंबर 2024 तिमाही में LIC के लिस्टेड कंपनियों में निवेश की कुल वैल्यू ₹14.72 लाख करोड़ थी, जो अब (18 फरवरी 2025) घटकर ₹13.87 लाख करोड़ रह गई है। यानी LIC को 5.7% का नुकसान हुआ है।
LIC ने जिन 330 कंपनियों में 1% से ज्यादा हिस्सेदारी ले रखी थी, उनमें से कई कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई, जिससे कुल वैल्यू कम हो गई।
किन कंपनियों में सबसे ज्यादा नुकसान?
सबसे ज्यादा गिरावट इन कंपनियों में देखी गई:
ITC: ₹11,863 करोड़
Larsen & Toubro (L&T): ₹6,713 करोड़
SBI: ₹5,647 करोड़
इन तीन कंपनियों की वजह से ही LIC के कुल नुकसान का 29% हिस्सा प्रभावित हुआ।
इसके अलावा, TCS, Jio Financial Services, HCL Technologies, JSW Energy, Adani Ports, HDFC Bank और IDBI Bank में भी ₹2,000 करोड़ से ₹4,000 करोड़ तक की गिरावट आई है।
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NBFC सेक्टर सबसे बड़ा घाटे का सौदा
LIC के पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा गिरावट फाइनेंशियल सेक्टर में देखी गई, जिसमें बैंकों और NBFC कंपनियों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर: ₹18,385 करोड़
IT सेक्टर: ₹8,981 करोड़
इंफ्रास्ट्रक्चर: ₹8,313 करोड़
पावर सेक्टर: ₹7,193 करोड़
फार्मा सेक्टर: ₹4,591 करोड़
कुछ कंपनियों ने नुकसान की भरपाई की
हालांकि, Bajaj Finance, Maruti Suzuki, Kotak Mahindra Bank, Bharti Airtel, Bajaj Finserv, JSW Steel और SBI Cards ने LIC के पोर्टफोलियो में ₹1,000 से ₹3,000 करोड़ तक की बढ़ोतरी की। Reliance Industries (RIL) और Tata Consumer Products ने भी LIC की वैल्यू में ₹840 करोड़ जोड़े।
आगे राहत मिलने के आसार कम
विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेशकों को जल्दी राहत मिलने की संभावना कम है। HSBC के अनुसार, भारतीय बाजार की वैल्यूएशन तब तक दबाव में रह सकती है, जब तक कंपनियों की कमाई स्थिर नहीं हो जाती।
HSBC के हेराल्ड वैन डर लिंडे का कहना है कि बाजार की गिरावट उन कंपनियों के लिए सुनहरा मौका है, जिनका ग्रोथ मजबूत है या जो आगे सुधार की ओर बढ़ रही हैं। खासतौर पर सॉफ्टवेयर कंपनियों को बड़ा फायदा मिल सकता है, क्योंकि कमजोर रुपया इस सेक्टर के लिए वरदान साबित हो सकता है।
इसके अलावा, अगर ब्याज दरों में ज्यादा सख्ती नहीं होती, तो वो बैंकों और लोन देने वाली कंपनियों के लिए राहत लेकर आएगा, जो फिलहाल कैश की दिक्कत झेल रहे हैं। दूसरी ओर, ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है, जिससे उपभोक्ता कंपनियों को भी मजबूती मिल सकती है। कुछ कंपनियां विदेशी बाजारों में भी अपनी पहुंच बढ़ा रही हैं, जिससे उनका कारोबार और तेज़ी पकड़ सकता है।
विपुल भवाड़ (सीनियर डायरेक्टर, वॉटरफील्ड एडवाइजर्स) के मुताबिक, अमेरिकी बाजार इन दिनों निवेशकों को ज्यादा लुभा रहा है। इसकी वजह बॉन्ड यील्ड्स में उछाल है, जिससे वहां का निवेश ज्यादा सुरक्षित और आकर्षक लगने लगा है।
इसका असर भारतीय बाजार पर पड़ा है, जहां से विदेशी निवेशक (FIIs) धीरे-धीरे दूरी बना रहे हैं और अपनी पूंजी अमेरिका जैसे सुरक्षित बाजारों में शिफ्ट कर रहे हैं।
हालांकि, एमके इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का अनुमान है कि निफ्टी दिसंबर 2025 तक 25,000 के स्तर पर पहुंच सकता है और विदेशी निवेशकों की बिकवाली 2025 की दूसरी तिमाही तक कम हो सकती है।
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