भारी उद्योग मंत्रालय (Ministry of Heavy Industries), भारत सरकार ने भारत के उन्नत बैटरी विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़े कदम के रूप में, 17 फरवरी, 2025 को उन्नत रसायन सेल (ACC) के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी लिमिटेड (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एक सहायक कंपनी) के साथ एक कार्यक्रम समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी लिमिटेड को 10 गीगावाट घंटा एसीसी क्षमता प्रदान करता है और इसे भारत की 18,100 करोड़ रुपये की पीएलआई एसीसी योजना के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने योग्य बनाता है।
यह समझौता, मई 2021 में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत “उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम” पर प्रौद्योगिकी पीएलआई योजना के कार्यान्वयन में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसका कुल परिव्यय 18,100 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य 50 गीगावाट घंटा की कुल विनिर्माण क्षमता हासिल करना है। इस हस्ताक्षर के साथ, 50 गीगावाट घंटा क्षमता में से चार चयनित लाभार्थी फर्मों को 40 गीगावाट घंटा की संचयी क्षमता प्रदान की गई है। मार्च 2022 में आयोजित निविदा के पहले दौर में, तीन लाभार्थी फर्मों को कुल 30 गीगावाट घंटा क्षमता आवंटित की गई थी, और उस दौर के लिए कार्यक्रम समझौतों पर जुलाई 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे।
भारी उद्योग मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार पीएलआई एसीसी योजना के साथ-साथ, वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घरेलू बैटरी निर्माण में तेजी लाने और देश में ई-मोबिलिटी प्रणाली के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी उपाय पेश किए गए। उल्लेखनीय रूप से, बजट ने ईवी बैटरी निर्माण के लिए 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) से छूट दी, जो देश में लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई एक लक्षित पहल है। इसके अलावा, घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने पर इसका जोर एक मजबूत, आत्मनिर्भर उन्नत बैटरी प्रणाली तंत्र स्थापित करने के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
क्या कहती है Reliance New Energy
रिलायंस न्यू एनर्जी का कहना है कि कंपनी 2026 तक एक बैटरी गीगाफैक्ट्री स्थापित कर रही हैं, जहां बैटरी केमिकल्स, सेल्स और पैक्स के साथ कंटेनराइज्ड एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस और बैटरी रीसाइक्लिंग सुविधाएं तैयार की जाएंगी। कंपनी का लक्ष्य लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) आधारित समाधान विश्वस्तरीय लाइफसाइकिल लागत पर तैयार करना है, साथ ही अपनी सोडियम आयन बैटरी तकनीक का तेजी से व्यवसायीकरण करना हैं।
कंपनी का कहना है कि वो एक संपूर्ण रूप से एकीकृत, एंड-टू-एंड सोलर फोटोवोल्टिक्स (PV) मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी, अत्याधुनिक, लचीली और लागत प्रभावी सोलर गीगाफैक्ट्रियों में से एक होगी। जामनगर में स्थापित हो रही सोलर PV और सेल मॉड्यूल फैक्ट्री दुनिया की पहली ‘क्वार्ट्ज-टू-मॉड्यूल’ सुविधा होगी, जहां क्वार्ट्ज से लेकर मेटलर्जिकल सिलिकॉन, पॉलीसिलिकॉन और इनगट्स/वेफर्स तक के सभी घटक सेल्स और मॉड्यूल्स के साथ एकीकृत होंगे। इस तरह ये कंपनी को 2030 तक कम से कम 100 गीगावॉट (GW) सोलर ऊर्जा स्थापित करने और सक्षम बनाने के लक्ष्य के और करीब ले जाएगा।
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