स्टॉक्स का हाल
18 फरवरी को नेस्ले का शेयर 0.39% बढ़कर ₹2,223.95 पर बंद हुआ। इसके विपरीत, ITC 0.8% गिरकर ₹405.20 और HUL 1.42% गिरकर ₹2,295.80 पर बंद हुआ। पिडिलाइट 0.58% की गिरावट के साथ ₹2,765.90 पर और UBL 0.36% गिरकर ₹2,021.20 पर बंद हुआ।
ब्रिटानिया, ITC और नेस्ले पर दांव
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले एक साल में ब्रिटानिया, ITC और नेस्ले जैसी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करेंगी। ये कंपनियां मजबूत ब्रांड हैं, इनका मुनाफा स्थिर रहता है और ये अपने सेक्टर में आगे हैं। हालांकि, शहरों में बिक्री थोड़ी धीमी है, लेकिन ये कंपनियां डिफेंसिव स्टॉक्स मानी जाती हैं, जो निवेशकों को सुरक्षित और स्थिर रिटर्न दे सकती हैं।
किन कंपनियों पर दबाव रहेगा?
हालांकि, सभी उपभोक्ता कंपनियों के लिए हालात समान नहीं हैं। नुवामा की रिपोर्ट के अनुसार, गॉदरेज कंज्यूमर, बिकाजी फूड्स और टाटा कंज्यूमर जैसी कंपनियों को निकट भविष्य में मार्जिन पर दबाव झेलना पड़ सकता है।
इन कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत बढ़ रही है। खासकर पाम ऑयल, कॉफी और चाय जैसी जरूरी सामग्रियों की महंगाई ने इनकी लागत को बढ़ा दिया है, जिससे मुनाफे पर असर पड़ रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर उपभोक्ता कंपनियों के शेयर ज्यादा नहीं गिरेंगे क्योंकि उनकी कीमतें अभी भी निवेशकों के लिए अच्छी बनी हुई हैं।
शहरी बनाम ग्रामीण बाजार
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण बाजारों का महत्व काफी ज्यादा है। नुवामा का कहना है कि जो कंपनियां गांवों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, वे अगले छह महीनों में शहरों पर निर्भर कंपनियों से बेहतर प्रदर्शन करेंगी।
उदाहरण के लिए, टूथपेस्ट सेगमेंट में डाबर के कोलगेट से आगे निकलने की संभावना है, जबकि पेंट सेक्टर में बर्जर पेंट्स, एशियन पेंट्स को पीछे छोड़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग शहरी बाजारों के मुकाबले लगभग दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में वॉल्यूम ग्रोथ 9.9% रही, जबकि शहरी बाजारों में यह सिर्फ 5% रही।
कंज्यूमर सेक्टर की ग्रोथ
Nielsen के डेटा के अनुसार, Q3FY25 में उपभोक्ता क्षेत्र में 10.6% की सालाना वृद्धि हुई, जो Q2FY25 में 5.7% थी। इसमें 3.3% की वृद्धि कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई, जबकि 7.1% की बढ़ोतरी बिक्री की मात्रा में रही। Q3FY25 में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली कंपनियों में यूनाइटेड स्पिरिट्स (10%), पिडिलाइट (10%) और यूनाइटेड ब्रेवरीज (33%) रही हैं। इनके वॉल्यूम में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं, बिकाजी फूड्स, गॉदरेज कंज्यूमर और टाटा कंज्यूमर को कच्चे माल की महंगाई के कारण नुकसान झेलना पड़ा।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काम करने वाली कंपनियों की बिक्री अच्छी रही, लेकिन रुपये की कमजोरी के कारण उनकी INR में कमाई पर असर पड़ा। हालांकि, बांग्लादेश जैसे बाजारों में मैरिको और डाबर को अच्छा प्रदर्शन करने का फायदा मिला।
शराब कंपनियों को फायदा
आंध्र प्रदेश में शराब नीति में बदलाव से यूनाइटेड स्पिरिट्स और UBL जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा हुआ है। Q3FY25 में यूनाइटेड स्पिरिट्स को 6.1% ग्रोथ आंध्र प्रदेश से मिली, जबकि UBL को भी राज्य से अच्छी मांग का लाभ मिला। इन कंपनियों ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है।
FY26 का आउटलुक
FY26 की शुरुआत में शहरी बाजारों में सुस्ती बनी रह सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, Q1FY26 तक यह ट्रेंड जारी रहेगा, लेकिन Q2FY26 से रिकवरी की उम्मीद है। इस रिकवरी को यूनियन बजट में टैक्स कटौती और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती से बल मिल सकता है। ग्रामीण इलाकों में धीरे-धीरे सुधार होता रहेगा, जिसे अच्छी फसल और सरकारी योजनाओं का सपोर्ट मिलेगा। हालांकि, गॉदरेज कंज्यूमर और टाटा कंज्यूमर को कच्चे माल की महंगाई के कारण Q1FY26 तक मुनाफे पर दबाव झेलना पड़ सकता है।
शराब कंपनियों के लिए FY26 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद है, क्योंकि वहां की विवादित नीतियां अब हल हो गई हैं। इसके अलावा, कोला कंपनियों में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, क्योंकि IPL जैसे बड़े आयोजनों में नई एनर्जी ड्रिंक लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है।
FY26 में शराब कंपनियों को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अच्छी ग्रोथ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि वहां की नीतियों से जुड़ी परेशानियां अब खत्म हो गई हैं। वहीं, कोला कंपनियों के बीच मुकाबला तेज होने वाला है, क्योंकि IPL जैसे बड़े इवेंट्स में नई एनर्जी ड्रिंक लॉन्च करने की तैयारी हो रही है।
कुल मिलाकर, नुवामा के विश्लेषकों का मानना है कि 2025 का आउटलुक सतर्क लेकिन सकारात्मक रहेगा। डिफेंसिव स्टॉक्स बाजार में अस्थिरता के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। CY2024 में भले ही ग्रोथ धीमी रही हो, लेकिन CY2025 में ग्रामीण मांग और कंपनियों की नई रणनीतियों से सेक्टर को मजबूती मिलने की संभावना है।
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