आज से लेकर 10 अप्रैल तक करीब 6 अरब डॉलर (50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) मूल्य के शेयर खरीद-बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। आम तौर पर बाजार में शेयरों की इतनी बड़ी मात्रा को बड़े थोक सौदों के जरिये निपटाया गया है।
मगर बाजार की चुनौतिपूर्ण स्थिति को देखते हुए आईपीओ से पहले या एंकर बुक के तौर पर निवेश करने वाली निजी इक्विटी (पीई) फर्मों और संस्थागत निवेशकों को अपने शेयरों को बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
बाजार के भागीदारों का कहना है कि शेयर कीमतों में तेज गिरावट के कारण बड़े थोक (ब्लॉक) सौदे करना कठिन हो गया है। कई र्पीई फर्में और अन्य प्रमुख निवेशक भी इस दुविधा में हैं कि कम मूल्य पर शेयर बेचें या बाजार में सुधार की उम्मीद में अपने शेयर बनाए रखें।
यह दुविधा पहले से ही आंकड़ों में दिख रही है। जनवरी में 26,000 करोड़ रुपये से कम के थोक सौदे हुए, जो 2024 के मासिक औसत 50,763 करोड़ रुपये से काफी कम है। फरवरी में भी यही रूझान रहा और सौदों की मात्रा और घट गई। इस महीने 14 फरवरी तक केवल 5,023 करोड़ रुपये मूल्य के थोक सौदे हुए।
सितंबर और दिसंबर तिमाही में कंपनियों के कमजोर नतीजे, डॉलर में मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड में तेजी से बाजार में गिरावट आने से शेयरों के थोक सौदे करना कठिन हो गया है। इसके अलावा डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की नीतियों में बदलाव के कारण भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों में अपना निवेश घटा रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली के दबाव में 2025 में अभी तक निफ्टी 3 फीसदी टूट चुका है। अक्टूबर से ही सूचकांक में गिरावट का रुख बना हुआ है और उच्चतम स्तर से अभी तक यह 11 फीसदी नीचे आ चुका है। इस साल अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1.04 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।
एसबीआई कैपिटल मार्केट्स में इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के समूह प्रमुख दीपक कौशिक ने कहा, ‘कई शेयर जिनकी लॉक-इन अवधि खत्म हो रही है, वे अपने निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे होंगे। अगर ऐसा है तो मुझे नहीं लगता कि बहुत सारे थोक सौदे होंगे।
शेयर बिक्री के लिए मूल्यांकन, बाजार की भावना और उठापटक महत्त्वपूर्ण कारक हैं। बाजार में मौजूदा अस्थिरता ने उचित मूल्य का पता लगाना और निवेश निकलना मुश्किल बना दिया है।’हालांकि कुछ बैंकरों का मानना है कि ब्लूचिप या सूचीबद्ध होने के बाद अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों में थोक सौदे होने की संभावना है।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक चिराग नेगांधी ने कहा, ‘लॉक इन अवधि खत्म होने के बाद शेयरों की बिक्री उसकी कीमत और निवेशक के नजरिये पर निर्भर करती है। जो शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें मुनाफावसूली हो सकती है।’ हालांकि कई शेयरधारक बाजार में उठापटक कम होने का इंतजार करेंगे।
कौशिक ने कहा, ‘कुछ कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की अपनी योजना बाजार की स्थिति देखकर फिलहाल टाल दी है। अमेरिका की व्यापार नीति में स्थिरता आने तक बाजार में उथलपुथल बनी रह सकती है और थोक सौदे तथा आईपीओ का बाजार नरम रह सकता है।’
थोक सौदे या ब्लॉक डील का मतलब शेयरधारकों द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों में बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद-बिक्री से है। इसके लिए स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा अलग से विंडो उपलब्ध कराई जाती है।
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