केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली को लेकर चिंता को दूर करते हुए कहा कि भारत में निवेश करने वालों को अच्छा रिटर्न (Return) मिल रहा है और इससे वे मुनाफावसूली कर रहे हैं. सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जहां निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल रहा है, जिससे मुनाफावसूली होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘एफआईआई भी तब बाहर जाते हैं जब वे मुनाफावसूली करने में सक्षम होते हैं. आज भारतीय बाजार में ऐसा माहौल है कि निवेश पर अच्छा रिटर्न भी मिल रहा है और मुनाफावसूली भी हो रही है.” डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने पिछले साल अक्टूबर से 1.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कुल पूंजी निकासी इस साल अबतक 99,299 करोड़ रुपये पहुंच गयी है. इससे बाजार में गिरावट आई है और निवेशकों को नुकसान हुआ.
वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि एफआईआई एक उभरते बाजार से दूसरे बाजार में नहीं जा रहे हैं. वैश्विक अस्थिरता के समय में एफआईआई अपने मूल देश वापस चले जाते हैं जो ज्यादातर अमेरिकी है. यही स्थिति अभी देखने को मिल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय बाजार मजबूत है और ये बदलाव अस्थायी हो सकते हैं. पांडेय ने कहा कि मांग-आपूर्ति के मुद्दों के अलावा, वृद्धि की संभावनाएं भी निवेशकों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं. भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और हाल ही में घोषित बजट में वृद्धि को गति देने वाले कई कई उपाय हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूर्व में वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है और आगे भी उनका सामना करते रहेंगे. लेकिन मुझे लगता है कि भारत इसे संभालने के लिए मजबूत स्थिति में है.’’ आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने भारी बिकवाली के कारण बाजार में सरकारी हस्तक्षेप के किसी भी संभावना को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कदम केवल तभी उठाया जा सकता है जब बाजार की विफलता का कोई सबूत हो. वर्तमान में ऐसा कोई मामला नहीं है.
सेठ ने कहा कि शेयर बाजार केवल सरकारी नीतियों पर काम नहीं करता है. विदेशी निवेशक अनिश्चितताओं के दौर में विकसित या बड़े बाजारों में जाते हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ हिस्सों में वैश्विक घटनाक्रमों के बीच भारत ने मजबूती दिखायी है. सीतारमण ने शुल्क दर को लेकर अमेरिका के रुख पर एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत अधिक निवेशक अनुकूल बनने की दिशा में काम कर रहा है.
उन्होंने हाल में पेश बजट में सीमा शुल्क दरों में सुधार का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत ने स्थानीय उद्योग और नौकरियों की बचाये रखने के नजरिये से शुल्क के मोर्चे पर पिछले दो वर्षों में पहले ही कई उपाय किए हैं. रक्षोपाय या डंपिंग रोधी शुल्क की भी समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
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