यूनियन बजट 2025-26 पेश करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार (17 फरवरी) को इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ बजट पर बातचीत की। ग्लोबल अनिश्चितता में FII बिकवाली करते हैं इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार देश में एसेट बिल्डिंग के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर पिछले साल की तुलना में 10.2% बढ़ाकर 16 लाख करोड़ रुपए तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सरकार ने अपनी ओर से 11.21 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।
इसके अलावा वित्त मंत्री ने इक्विटी मार्केट में FII की बिकवाली सहित MSME और बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा बढ़ाने जैसे कई मुद्दों पर बात की …
- इक्विटी मार्केट में FII की बिकवाली: इक्विटी मार्केट में FII की बिकवाली पर वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसा माहौल है जिसमें निवेश से अच्छा रिटर्न मिल रहा है। इसके चलते बाजार से काफी मुनाफावसूली भी हो रही है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल अनिश्चितता में FII बिकवाली करते हैं, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। केवल फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 29,183.43 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं।
- डेट-टू-GDP रेश्यो घटाने पर जोर: आने वाले समय में सरकार डेट-टू-GDP (देश की GDP के हिसाब से उसपर कर्ज) रेश्यो को कम करने पर फोकस करने वाली है। इसके लिए पहला काम बॉरोइंग यानी उधारी में कटौती और फिस्कल ग्लाइड पाथ का पालन करना। उन्होंने कहा कि हर संभव उपाय किया जाएगा कि कर्ज को कम किया जा सके, लेकिन इसका सरकार के प्लान्ड कामों पर कोई असर नहीं होगा
- बीमा के क्षेत्र में FDI की लिमिट बढ़ाने की तैयारी: इंश्योरेंस सेक्टर में सरकार फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की लिमिट बढ़ाने की तैयारी कर रही है। बीमा सेक्टर को और ज्यादा व्यापक बनाने के लिए और प्लेयर्स की जरूरत है। सरकार इसके लिए जरूरी तैयारी कर रही है।
- MSME के लिए भी टर्म लोन का प्रावधान: फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज यानी MSME के लिए एक टर्म लोन दिया जाएगा। इससे पहले उन्हें जो वर्किंग कैपिटल असिस्टेंस मिलती थी वह भी मिलती रहेगी। हालांकि, प्लांट और मशीनरी खरीदने के लिए MSME को टर्म लोन देने की घोषणा पहली बार जुलाई के बजट में इसका प्रावधान किया गया। इससे सीधे तौर पर इसमें शामिल होने से छोटे और मध्यम उद्योगों की लोन जरूरतों को मदद मिलेगी।
- टैक्स रिलीफ से ₹1 लाख करोड़ का रेवेन्यू लॉस: इनकम टैक्स पर सरकार के हालिया फैसले से एक करोड़ भारतीय करदाता टैक्सपेयर्स की कैटेगरी से बाहर आ जाएंगे। टैक्स में राहत देने के फैसले से सरकार को डायरेक्ट टैक्स में करीब 1 लाख करोड़ रुपए और इनडायरेक्ट टैक्स में करीब 2600 करोड़ का रेवेन्यू लॉस होगा। सरकार को उम्मीद है कि इनकम टैक्स कम होने से लोगों के पास ज्यादा पैसा बचेगा, जिसे लोग बचत या निवेश के रूप में अर्थव्यवस्था में वापस लगाएंगे।
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