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वैश्विक इक्विटी मार्केट कैप में भारत की हिस्सेदारी घटी

 

देश के शेयर बाजार के लगातार खराब प्रदर्शन के बीच हाल के महीनों में वैश्विक बाजार पूंजीकरण (एमकैप) में भारत की हिस्सेदारी में तेज गिरावट देखी गई है। पिछले साल जुलाई के अंत में भारत की हिस्सेदारी 4.64 फीसदी के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर थी जो अब गिरकर 3.63 फीसदी पर आ गई है। यह 18 महीने का निचला स्तर है।

दिसंबर 2024 के अंत में वैश्विक एमकैप में भारत की हिस्सेदारी 4.18 फीसदी थी और पिछले साल सितंबर के अंत में 4.52 फीसदी थी। तब बेंचमार्क सूचकांक शीर्ष पर थे। शुक्रवार को बीएसई में सूचीबद्ध सभी फर्मों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण लगभग 4,612.9 अरब डॉलर था जो 2024 के अंत में रहे 5,162.2 अरब डॉलर से 10.6 फीसदी कम है और सितंबर 2024 के अंत के 5,660.4 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर से 18.5 फीसदी नीचे है। सितंबर 2024 के अंत से अभी तक देश में सभी सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त एमकैप लगभग 1,050 अरब डॉलर गिर गया है। यह राशि वित्त वर्ष 25 के दौरान भारत के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद -लगभग 3,836 अरब डॉलर- की करीब 27 फीसदी है। इसकी तुलना में वैश्विक इक्विटी एमकैप में वृद्धि जारी है और यह अब 127.08 लाख करोड़ डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर है जो दिसंबर 2024 के अंत में रहे 126.85 लाख करोड़ डॉलर से 2.8 फीसदी अधिक है। सितंबर 2024 के अंत में यह 125.3 लाख करोड़ डॉलर था।

विश्व बाजार पूंजीकरण में वृद्धि की अगुआई अमेरिकी बाजार ने की है। उसके बाद चीन और हॉन्गकॉन्ग के बाजार हैं। अमेरिकी इक्विटी बाजार का एमकैप दिसंबर 2024 के अंत में 55.3 लाख करोड़ डॉलर से 2025 में 15.4 फीसदी बढ़कर 63.82 लाख करोड़ डॉलर हो गया। चीनी शेयर बाजार का पूंजीकरण 12.5 फीसदी बढ़कर 10.2 लाख करोड़ डॉलर हो गया जबकि हॉन्गकॉन्ग का एमकैप 17.6 फीसदी बढ़कर 5.6 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गया। पांच अग्रणी बाजारों में जापान का बाजार पूंजीकरण दिसंबर 2024 के अंत में 6.7 लाख करोड़ डॉलर से 2.9 फीसदी गिरकर 6.5 लाख करोड़ डॉलर रह गया।

हाल में आई गिरावट के बावजूद दुनिया के बाजार पूंजीकरण में भारत की हिस्सेदारी अभी भी वैश्विक जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी से अधिक है। वित्त वर्ष 25 में मौजूदा कीमतों पर भारत की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी 3.5 फीसदी रहने की उम्मीद है और यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है और वित्त वर्ष 24 के अंत में इसकी हिस्सेदारी 3.4 फीसदी और वित्त वर्ष 19 में महामारी से पहले 3.1 फीसदी रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी डॉलर की मौजूदा कीमत पर भारत का जीडीपी वित्त वर्ष 25 में 7.5 फीसदी बढ़कर 3,836 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है जो एक साल पहले 3,568 अरब डॉलर था।

इसकी तुलना में मौजूदा कीमतों पर वैश्विक जीडीपी 2024 में 4.1 फीसदी बढ़कर लगभग 110.06 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है जो कैलेंडर वर्ष 23 में लगभग 105.7 लाख करोड़ डॉलर था। ऐतिहासिक रूप से, भारत का बाजार पूंजीकरण देश के जीडीपी में वृद्धि के साथ-साथ बढ़ा है। लेकिन वैश्विक एमकैप में देश का हिस्सा मौजूदा कीमतों पर विश्व जीडीपी में उसके हिस्से से अक्सर कम रहा है। विगत में जब भी भारत का एमकैप हिस्सा जीडीपी शेयर से ज्यादा हुआ, उसके बाद गिरावट का दौर आया। वर्ष 2012 और 2013 में ऐसा देखा गया था और अभी भी ऐसा दिख रहा है। इससे भारतीय शेयर बाजार में और गिरावट का संकेत मिलता है।

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