मुंबई पुलिस ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश प्रवीणचंद मेहता पर 122 करोड़ रुपये के फ्रॉड का केस किया है। उन पर बैंक के ट्रेजरी से इस पैसे की हेराफेरी के आरोप हैं। मेहता पर 2020 और 2025 के बीच दादर और गोरेगांव की ब्रांचेज को मैनेज करने की जिम्मेदारी थी। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मेहता ने इस दौरान फ्रॉड के लिए अपनी पोजीशन का दुरूपयोग किया।
अब EoW मामले की जांच करेगा
दादर पुलिस स्टेशन में बैंक के चीफ अकाउंट अफसर की शिकायत पर यह केर्स दर्ज किया गया। पुलिस को संदेह है कि इस फ्रॉड में मेहता का एक साथी शामिल था। यह केस अब आगे की जांच के लिए इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग (ईओडब्ल्यू) को भेज दिया गया है। मेहता के खिलाफ यह केस बीएनएस के सेक्शन 316(5) और 62(2) के तहत दर्ज किया गया है। बैंकिंग नियमों के पालन में लापरवाही की वजह से आरबीआई ने इस बैंक के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने 13 फरवरी को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर कई प्रतिबंध लगा दिया था। बैंक को नए लोन देने और नए डिपॉजिट लेने से रोक दिया गया है।
आरबीआई ने नियुक्त किया एडमिनिस्ट्रेटर
RBI ने 14 फरवरी को बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को निलंबित करने का ऐलान किया। ऐसा 12 महीनों के लिए किया गया है। केंद्रीय बैंक ने एसबीआई के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर श्रीकांत को बैंक के कामकाज की देखरेख के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया है। उन्हें मदद करने के लिए एडवाइजर्स की एक कमेटी भी बनाई गई है। इसमें एसबीआई के पूर्व जनरल मैनेजर रवींद्र सापरा और चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिजीत देशमुख शामिल हैं। आरबीआई ने कहा है कि गवर्नेंस के खराब स्टैंडर्ड को देखते हुए उसे यह कदम उठाना पड़ा है।
बैंक के ग्राहकों को पैसा डूबने का डर
आरबीआई के कड़े कदमों की वजह से बैंक के ग्राहकों में डर फैल गया। मुंबई में बैंक की ब्रांच के बाहर पैसे निकालने के लिए ग्राहकों की भीड़ लग गई। लोगों को अपना पैसा और लॉकर में रखी ज्वैलरी डूबने का डर हो गया। कई ग्राहकों ने इस डर से अपने पैसे निकाल लिए कि आने वाले समय में बैंक की स्थिति और खराब हो सकती है।
