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टॉप-10 में 8 कंपनियों की वैल्यू ₹2 लाख करोड़ गिरी: रिलायंस टॉप लूजर, इसकी वैल्यू ₹67,527 करोड़ कम हुई; एयरटेल और ICICI बैंक की बढ़ी

 

मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 8 का मार्केट कैप बीते हफ्ते के कारोबार में 2.04 लाख करोड़ रुपए कम हुआ है। इस दौरान देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप 67,527 करोड़ रुपए गिरकर 16.47 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।

 

इसके अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), HDFC बैंक, ITC और इंफोसिस जैसी कंपनियों की वैल्यू भी गिरी है। जबकि, टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल की वैल्यू 22,426 करोड़ रुपए बढ़कर 9.79 लाख करोड़ रुपए और ICICI बैंक की वैल्यू 1,183 करोड़ रुपए बढ़कर 8.89 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है।

बीते 8 ट्रेडिंग-डे में 2,644 अंक गिरा सेंसेक्स

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार (14 फरवरी) को सेंसेक्स 199 अंक की गिरावट के साथ 75,939 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 102 अंक की गिरावट रही, ये 22,929 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, BSE स्मॉलकैप 1522 अंक गिरकर 45,411 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 25 में गिरावट और 5 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 41 में गिरावट और 9 में तेजी रही। NSE सेक्टोरल इंडेक्स के मीडिया सेक्टर में सबसे ज्यादा 3.40% की गिरावट रही।

सेंसेक्स और निफ्टी में शुक्रवार को लगातार आठवें दिन गिरावट जारी रही। पिछले आठ कारोबारी दिनों में BSE 2,644.6 अंक (3.36%) और निफ्टी 810 अंक (3.41%) लुढ़का है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

 

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