विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वर्ष 2025 के पहले 6 हफ्तों में 10 अरब डॉलर से अधिक (करीब 97,000 करोड़ रुपये) मूल्य के शेयर बेच दिए हैं। अब तक किसी भी साल के पहले छह हफ्तों में यह सबसे ज्यादा बिकवाली है। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली से साल के शुरुआती महीनों में शेयर बाजार का प्रदर्शन करीब एक दशक में सबसे खराब रहा है।
कंपनियों के तिमाही नतीजे नरम रहने और अमेरिकी नीतियों में बदलाव से विदेशी निवेशकों की बिकवाली बढ़ी है। अमेरिका में नई सरकार बनने से वहां की ऋण प्रतिभूतियों पर अपेक्षाकृत ज्यादा रिटर्न मिल रहा है और डॉलर भी मजबूत हुआ है जिससे निवेशक उभरते बाजारों से अपना निवेश निकाल रहे हैं। विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बेंचमार्क निफ्टी 2.6 फीसदी, निफ्टी मिडकैप 11 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 15 फीसदी तक टूट गया है। 2016 के बाद साल के शुरुआती 6 हफ्तों में तीनों सूचकांकों की यह सबसे तेज गिरावट है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने उभरते बाजारों की तुलना में भारत में ज्यादा बिकवाली की है। चीन में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वहां की सरकार द्वारा किए गए प्रोत्साहन उपायों से विदेशी निवेशकों का वहां के बाजारों के प्रति आकर्षण बढ़ा और अक्टूबर 2024 से भारत के शेयर बाजार में एफपीआई की बिकवाली शुरू हो गई। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की जीत से दुनिया भर में चिंता बढ़ गई क्योंकि उन्होंने जिन नीतियों का वादा किया था उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए उथल-पुथल भरा माना जा रहा है। इससे उभरते बाजारों का आकर्षण कम हुआ है और अमेरिकी ऋण प्रतिभूतियों की मांग बढ़ी है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से रोज नई घोषणाएं होने और फिर निर्णय वापस लिए जाने से अनिश्चितता काफी बढ़ गई है। शेयर बाजार को अनिश्चितता पसंद नहीं है और जब भी ऐसी स्थिति होती है, निवेशक सुरक्षित माने जाने वाली संपत्तियों का रुख कर लेते हैं।’
अक्टूबर से डॉलर काफी मजबूत हुआ है जिससे निवेशकों ने 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्डों का रुख किया है। इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में 3.6 फीसदी की नरमी आई है जबकि अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड 81.5 आधार अंक बढ़ी है। रुपये में नरमी से विदेशी निवेशकों के रिटर्न पर भी असर पड़ा है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘हम लंबे समय में आय वृद्धि में तेज गिरावट देख रहे हैं और शेयरों के दाम भी काफी ऊंचे हो गए थे। लार्ज कैप सूचकांक का भी मूल्यांकन अधिक हो गया था। उभरते बाजारों और रुपये में की चाल को देखते हुए अभी कुछ महीनों तक एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की उम्मीद है। रुपये में स्थिरता आने पर एफपीआई की बिकवाली थम सकती है।’
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