कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि आगामी सप्ताहों और महीनों में खुदरा निवेशकों का व्यवहार भारतीय शेयर बाजार की चाल तय करने में अहम होगा। रिपोर्ट में एक चिंताजनक रुझान का जिक्र किया गया हैः छोटे निवेशकों का प्रदर्शन प्रमुख सूचकांकों की तुलना में लगातार कमजोर रहा है और अक्सर वे बाजार के ऊंचे स्तरों पर खरीदारी करते हैं। रिपोर्ट में खुदरा निवेशकों द्वारा बाजार के उछाल में खुजरा निवेशकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है, खास तौर पर सीधे शेयरों की खरीद और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के पास निवेश करके।
ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि किसी भी कीमत स्तर पर खरीद के इस व्यवहार ने पिछले 9 से 12 महीनों में बाजार का मूल्यांकन ज्यादा बढ़ाने में योगदान दिया है। इस कारण वे ज्यादा बड़ी गिरावट रोकने में मददगार रहे हैं। केआईई के विश्लेषण में छोटे निवेशकों के वास्तविक प्रदर्शन और धारणा का पता लगाने के लिए प्रमुख सूचकांकों (लार्जकैप, मिडकैप या स्मॉलकैप) के रिटर्न पर निर्भर रहने के खिलाफ आगाह किया गया है।
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि ये सूचकांक दो प्रमुख कारणों से कुछ ज्यादा ही आशावादी तस्वीर पेश कर सकते है। ये दो कारक हैः निवेशकों का ऊंचे स्तरों पर बाजार में प्रवेश और इन उच्च स्तरों पर फंड की आवक में वृद्धि। कर और ट्रेडिंग खर्च से जुड़ी चुनौतियों को भी शामिल कर लें तो निवेशकों का वास्तविक रिटर्न और घट जाता है।आंकड़ों से चिंताजनक संकेत मिलते हैः खुदरा निवेशकों का पिछले12 महीने का रिटर्न कमजोर हो रहा है, जबकि 3 महीने और 6 महीने का रिटर्न पहले ही घाटे में पहुंच चुका है। रिपोर्ट में खुदरा निवेशकों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है- ‘नए’ निवेशक (जो पिछले 12 महीनों में बाजार में उतरे हैं) और ‘पुराने’ निवेशक।
नए निवेशकों में प्रायः जोखिम लेने की कम क्षमता और सीमित बाजार समझ होती है और उनके पोर्टफोलियो में बड़े नुकसान की संभावना हो सकती है। पुराने निवेशक (जिनके अधिक अनुभवी होने की संभावना हैं) भी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
कैलेंडर वर्ष 2024 में फंड प्रवाह कैलेंडर वर्ष 2022-23 के कुल प्रवाह की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक था। इसमें सेक्टोरल/थीमेटिक फंडों का योगदान कैलेंडर वर्ष 2024 और कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली छमाही में 40 प्रतिशत और 37 प्रतिशत था।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की अक्टूबर 2024 और फरवरी 2025 के बीच भारतीय शेयरों में 21 अरब डॉलर की आक्रामक बिकवाली के कारण बाजार का रुख घरेलू निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा निवेशकों की निरंतर भागीदारी पर निर्भर करेगा। अब मुख्य सवाल यह है कि क्या खुदरा निवेशक अपना समर्थन जारी रखेंगे या बढ़ते नुकसान के कारण रणनीति बदलने पर जोर देंगे।
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