भारतीय लोगों में कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच एस्ट्राजेनेका की भारत में स्तन कैंसर की दवा एनहर्टू (ट्रास्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन) पिछले 12 महीनों में देश के बाजार में सबसे अधिक बिकने वाली नई दवा बन गई है।
आईक्यूवीआईए के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 तक इस दवा का मूविंग एनुअल टर्नओवर (एमएटी) 57.9 करोड़ रुपये रहा। एमएटी का मतलब सालाना टर्नओवर या पिछले 12 महीनों का टर्नओवर है। दरअसल आईक्यूवीआईए ने कहा कि एस्ट्राजेनेका की सबसे अधिक बिक्री (नई दवाओं में) एकल ब्रांड एनहर्टू से 57.9 करोड़ रुपये की हुई। इसके बाद सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज की 18 नए ब्रांडों से 49.9 करोड़ रुपये की बिक्री का स्थान रहा। डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज 51 नए ब्रांडों से 44.9 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ के साथ तीसरे स्थान पर रही।
एस्ट्राज़ेनेका ने प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को लेकर भविष्य की योजनाओं पर भेजे गए प्रश्नों का ईमेल जवाब नहीं दिया। ऑनलाइन फार्मेसी वेबसाइटों के अनुसार एनहर्टू की कीमत अभी प्रति 100एमजी इंजेक्शन करीब 1.6 लाख रुपये है।
भारतीय बाजार में पिछले बारह महीनों या कैलेंडर वर्ष 2024 में 3151 नए ब्रांड लॉन्च हुए। इनसे कुल 1096.9 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। इन नई पेशकश ने मिलकर भारतीय दवा बाजार (आईपीएम) में 0.5 फीसदी और एमएटी (दिसंबर 2024 तक) आईपीएम वृद्धि में 6.8 फीसदी का योगदान किया। आईपीएम कारोबार लगभग 2.2-2.3 लाख करोड़ रुपये है और 8 फीसदी या उससे अधिक की रफ्तार से बढ़ रहा है।
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की भारतीय शाखा का नेतृत्व करने वाले फार्मा उद्योग के एक दिग्गज ने कहा कि इस तरह के नए ब्रांड लॉन्च होने से आईपीएम की रफ्तार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर आप देखें तो पिछली कई तिमाहियों से आईपीएम की कुल वृद्धि में नई दवाओं ने लगातार करीब 2.5-3 फीसदी का योगदान किया है।
हालांकि कीमत बढ़ोतरी का वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान रहा है जबकि बिक्री काफी हद तक स्थिर रही है। दिलचस्प यह है कि 2024 में आईपीएम में पेश की गई शीर्ष 20 नई दवाओं में से पांच कैंसर की थीं। यह तथ्य इसका संकेत है कि देश के नागरिकों में कैंसर के माले बढ़ रहे हैं। भारत में प्रति एक लाख लोगों पर कैंसर के 100.4 मामले हैं। भारत में 9 में से 1 व्यक्ति को अपने जीवन में कैंसर का सामना करना पड़ सकता है। 2020 की तुलना में 2025 तक कैंसर के मामलों में अनुमानित वृद्धि 12.8 फीसदी रहने की संभावना है। नैशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फॉर्मेटिक्स ऐंड रिसर्च (आईसीएमआर-एनसीडीआईआर) के अनुसार भारत में कैंसर का अनुमानित 2025 में बढ़ जाने की आशंका है।
फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड और कल्याण के डॉ. अनिल हेरूर (एचओडी और वरिष्ठ सलाहकार – सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) ने कहा कि वैश्विक स्तर पर और भारत में कैंसर के मामले बढ़ रहे लहैं। 2023 में देश में 13 लाख से अधिक मामले सामने आए। इन में 1,50,000 से अधिक मामले स्तन कैंसर के हैं। खास बात यह कि इनमें से लगभग 67 फीसदी मरीज़ 32 से 59 वर्ष के बीच के हैं जिससे पता चलता है कि भारत में कैंसर प्रभावित आबादी पश्चिमी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम उम्र की है।
गैर-संचारी रोगों में सबसे अधिक मृत्यु दर (63.3 फीसदी) हृदय रोग के कारण है। इसके बाद कैंसर (18.1 फीसदी) का स्थान है। 2024 में कैंसर के करीब 94 ब्रांड लॉन्च किए गए, जिन्होंने 149.8 करोड़ रुपये का कारोबार किया जबकि 505 विटामिन-खनिज-पोषक तत्व (वीएमएन) ब्रांड (126 करोड़ रुपये) और 394 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्रांड (166.4 करोड़ रुपये) लॉन्च किए गए।
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