Stock Markets Down: भारतीय शेयर बाजारों में आज 10 फरवरी को लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई। डोनाल्ड ट्रंप के ऐलानों को लेकर बढ़ती चिंता ने निवेशकों का मनोबल कमजोर कर दिया है। शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 671 अंक या 0.86% की गिरावट के साथ 77,189.04 के निचले स्तर पर पहुंच गया। वहीं एनएसई निफ्टी 202.35 अंक या 0.85% टूटकर 23,357.60 पर आ गया। छोटे और मझोले शेयरों में तो और भी तगड़ी बिकवाली देखने को मिली। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 1.5 फीसदी, तो स्मॉलकैप इंडेक्स 2 फीसदी तक गिर गया। इसके चलते बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप आज 5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक घटकर 418.85 लाख करोड़ पर आ गया।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार की इस गिरावट के पीछे 4 प्रमुख कारण रहे। आइए इन्हें एक-एक जानते हैं-
1) ट्रंप के टैरिफ फैसले से बढ़ी अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25% का नया टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे ग्लोबल लेवल पर ट्रेड को लेकर तनाव बढ़ गया। इसके अलावा, उन्होंने संकेत दिया कि जो देश अमेरिकी समानों पर इंपोर्ट पर टैक्स लगाते हैं, उनके खिलाफ भी बदले की कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने दवाओं, ऑयल और सेमीकंडक्टर पर भी ड्यूटी लगाने की संभावना जताई है।
इससे पहले उन्होंने पिछले हफ्ते अमेरिका में आने वाले चाइनीज सामानों से 10 फीसदी ड्यूटी लगाने का ऐलान किया था, जिसके जवाब में बीजिंग ने भी पलटवार करने की योजना बनाई है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड, श्रीकांत चौहान ने रॉयटर्स को बताया, “अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता ने ग्लोबल मार्केट्स को अस्थिर कर दिया है। टैरिफ नीतियों में बार-बार बदलाव से निवेशकों के मनोबल पर असर पड़ रहा है।”
2) कमजोर रुपये का दबाव
सोमवार को भारतीय रुपया 45 पैसे टूटकर 87.95 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मजबूत होने और शेयर बाजार में बिकवाली के कारण रुपये पर दबाव बना हुआ है। इस बीच डॉलर इंडेक्स भी बढ़कर 108 पर पहुंच गया, जिससे अमेरिकी करेंसी और मजबूत हुई है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ वीके विजयकुमार ने कहा, “दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत राजनीतिक रूप से पॉजिटिव खबर है, लेकिन ग्लोबल बाजारों में जारी मुश्किल हालाकों के कारण यह बाजार को मजबूती नहीं दे पाएगी।”
3) मिलजुले तिमाही नतीजे
कंपनियों के दिसंबर तिमाही के नतीजे उम्मीदों पर खरे उतरते नहीं दिख रहे हैं। यह भी बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण है। आईटीसी, स्विगी और एनएचपीसी जैसी कंपनियों के मुनाफे में गिरावट देखी गई है। इससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है और शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है।
4) विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का भारतीय बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला अभी भी जारी है। फरवरी महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने करीब 10,179.40 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। डॉ वीके विजयकुमार ने कहा अमेरिका का 10-ईयर बॉन्ड यील्ड इस समय 4.4% से अधिक हो गया है। इसके चलते विदेशी निवेशक बाजार में आने वाली किसी भी उछाल पर बिकवाली जारी रख सकते हैं। इसके चलते बाजार में अभी सीमित बढ़त ही देखने को मिलेगी।
वहीं मार्केट एनालिस्ट्स अम्बरीश बालिगा ने कहा, “फिलहाल ऐसी कोई खबर या घोषणा नहीं हुई है जो बाजार की दिशा बदल सके। ट्रंप की नीतियों से जुड़ी चिंताएं अभी जारी रहने वाली है।”
इस बीच, अब निवेशकों की नजरें जनवरी महीने के खुदरा महंगाई दर (CPI) के आंकड़ों पर टिक हुई हैं, जो 12 फरवरी को जारी किए जाएंगे। वहीं ग्लोबल स्तर पर, अमेरिकी महंगाई दर, प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) और रिटेल सेल्स के आंकड़े बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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