आरबीआई की दर कटौती शेयर बाज़ार पर क्या असर डालेगी?
दर कटौती बाजार की उम्मीदों के अनुरूप थी। मौद्रिक नरमी की दिशा में उठाए गए इस कदम से निवेशकों को राहत मिलनी चाहिए, जो अब नकदी में सुधार के लिए अतिरिक्त उपायों पर नजर रखेंगे। हालांकि बाजार की तात्कालिक राह मुख्य रूप से कंपनियों की आय और वैश्विक आर्थिक कारकों से आकार लेगी।
दिसंबर तिमाही की आय के बारे में आपका क्या आकलन है?
अनुमान के मुताबिक हमारे आकलन वाली 238 कंपनियों की आय सालाना आधार पर 5 फीसदी बढ़ी। इनमें से 96 ने उम्मीद से कम मुनाफा दर्ज किया, 72 ने उम्मीद से ज्यादा लाभ अर्जित किया और 70 की आय अनुमान के मुताबिक रही। कुल प्रदर्शन पर वैश्विक जिंस क्षेत्र का असर पड़ा। धातुओं और तेल व गैस को छोड़कर, हमारे आकलन वाली कंपनियों ने आय में 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। इस बीच, इनमें से 27 कंपनियों की रेटिंग में अपग्रेड देखा गया जबकि 103 में से प्रत्येक की रेटिंग 3 फीसदी से ज्यादा कम की गई। आय में मामूली वृद्धि मोटे तौर पर वित्तीय क्षेत्र और प्रौद्योगिकी, रियल एस्टेट, स्वास्थ्य देखभाल और पूंजीगत सामान क्षेत्र में हुई। इसके विपरीत, ग्लोबल साइक्लिकल (विशेष रूप से तेल व गैस, धातु, सीमेंट, ऑटोमोटिव और उपभोक्ता सामान) ने कुल वृद्धि को नीचे खींचा। वित्त वर्ष 26 के लिए निफ्टी की प्रति शेयर आय अब 1,203 रुपये है जो 15 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। 2026-27 के लिए यह 1,374 रुपये है जो 14 फीसदी की वृद्धि बताती है।
क्या बजट घोषणाओं ने 2025 के लिए मार्केट आउटलुक को बदल दिया है?
वित्त वर्ष 26 के केंद्रीय बजट में सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय मध्य वर्ग के करदाताओं के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कर प्रोत्साहन था। 11 वर्षों में पहली बार बजट ने पूंजीगत व्यय से नजर हटाकर उपभोग और बचत को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है। इस बदलाव के प्रमुख लाभार्थियों में एफएमसीजी, खुदरा, विवेकाधीन वाले व्यय क्षेत्र, रियल एस्टेट, दोपहिया वाहन, प्रवेश स्तर के वाहन और पूंजी बाजार में निवेश शामिल हैं। सीमित राजकोषीय गुंजाइश को देखते हुए वित्त मंत्री ने एक प्रगतिशील बजट पेश किया जिसने बाजार को आश्वस्त किया।
कर कटौती से आय में नरमी को बहाल करने में मदद मिलेगी?
हम उपभोक्ता क्षेत्र की कंपनियों की आय में सुधार की उम्मीद करते हैं जो प्रोत्साहन से बढ़ी हुई मांग और उसके बाद परिचालन लाभ के जरिये होगा। इस प्रोत्साहन का प्रभाव वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही से दिखना शुरू होना चाहिए क्योंकि परिवार कर बचत के लिए अपने बजट को समायोजित करते हैं। इस बीच, केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में सपाट वृद्धि का असर उद्योगों की कमाई पर दिखने में ज्यादा वक्त लग सकता है।
क्या हालिया सुधार के बाद मूल्यांकन में नरमी आई है?
निफ्टी 50, मिडकैप 100 और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स सितंबर 2024 के अपने उच्चतम स्तर से क्रमशः 10 फीसदी, 12 फीसदी और 13 फीसदी नीचे आए हैं। अलबत्ता, समग्र सूचकांक में गिरावट कम रही है। लेकिन वैयक्तिक शेयरों में गिरावट ज्यादा स्पष्ट रही है। बाजार में गिरावट के बाद निफ्टी 50 अब 12 महीने आगे के पी/ई अनुपात 19.8 गुना पर कारोबार कर रहा है जो इसके दीर्घकालिक औसत से लगभग 4 फीसदी कम है। निफ्टी मिडकैप लगभग 30गुना पी/ई पर है जो निफ्टी-50 से 50 फीसदी प्रीमियम दर्शाता है। निफ्टी स्मॉलकैप लगभग 22 गुना पीई पर कारोबार कर रहा है जो निफ्टी-50 से 13 फीसदी प्रीमियम है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश पर आपका क्या नजरिया है?
घरेलू इक्विटी में हालिया बिकवाली अक्टूबर 2024 में शुरू हुई। तब से एफपीआई ने लगभग 20 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की है। यह चार महीने में सबसे तेज एफपीआई निकासी है जिससे संकेत मिलता है कि काफी कुछ बिकवाली हो चुकी होगी। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बदलते सुरों और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में मजबूती के कारण यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह रुख कब तक जारी रहेगा। इसका मतलब कि बढ़चढ़कर की गई बातें आक्रामक नीतिगत कदमों में शायद तब्दील न हों। इससे चिंताएं घट सकती हैं और एफपीआई की निकासी के उलटने की संभावना है।
अमेरिकी टैरिफ पर तनाव का बाजारों पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिकी नीति में बदलाव और व्यापार टकराव को लेकर अनिश्चितता के कारण अल्पावधि में बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है। ये घटनाक्रमों के चलते निवेशक कुछ महीनों तक सतर्क रहेंगे। हालांकि इस तरह के तनाव लंबे समय तक नहीं रह सकते या तेजी से नहीं बढ़ सकते।
आप किन क्षेत्रों पर ओवरवेट और अंडरवेट हैं?
हम उपभोग, आईटी, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा, औद्योगिक, स्वास्थ्य देखभाल और रियल एस्टेट पर अधिक ओवरवेट हैं। साथ ही तेल व गैस, सीमेंट, ऑटोमोटिव और धातुओं पर अंडरवेट बने हुए हैं। हम मिड और स्मॉलकैप के मुकाबले लार्जकैप को प्राथमिकता देना जारी रखेंगे।
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