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रिटायरमेंट इनकम का शानदार जरिया है SWP, बाजार के उतार-चढ़ाव से भी मिलती है सुरक्षा

रिटायरमेंट का समय नजदीक आने के साथ ही इनकम के भरोसमंद और नियमित स्रोत की जरूरत बढ़ने लगती है। जिन लोगों ने म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया है, उनके लिए एक बेहतर रणनीति यह है कि वे सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP)के जरिये अपने निवेश को रेगुलर कैश फ्लो में बदल ले।

क्या है सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) क्या है?

सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) ऐसी सुविधा है, जिसके तहत आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश से नियमित तौर पर (मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना) एक तयशुदा रकम की निकासी कर सकते हैं। यहां एकमुश्त राशि निकालने की बजाय आप नियमित तौर पर अपनी यूनिट्स रिडीम कर सकते हैं, जबकि आपके निवेश का बड़ा हिस्सा बना रहेगा। इसमें आपके पोर्टफोलियो के बाकी हिस्से पर मार्केट परफॉर्मेंस के हिसाब से रिटर्न मिलता रहेगा।

SWP कैसे काम करता है?

 

जब आप SWP शुरू करते हैं, तो निकासी की जाने वाले रकम के हिसाब से तय संख्या में म्यूचुअल फंडों की बिक्री सुनिश्चित की जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है और हर महीने 10,000 रुपये की निकासी का फैसला किया है, हर महीने इस रकम के बराबर यूनिट्स की बिक्री होगी। इन यूनिट्स की वैल्यू निकासी के वक्त म्यूचुअल फंड की मौजूदा नेट एसेट वैल्यू (NAV) के लिहाज से तय होगी। आने वाले समय में मार्केट की परफॉर्मेंस के हिसाब से आपकी बाकी यूनिट्स की वैल्यू में बढ़ोतरी हो सकती है।

रिटायरमेंट के लिए SWP क्यों चुनें?

रिटायरमेंट के वक्त ज्यादातर लोगों के दो वित्तीय मकसद होते हैं: आय का नियमित स्रोत और पूंजी की सुरक्षा। SWP इन दोनों लक्ष्यों के हिसाब से अनुकूल है, क्योंक इसमें रेगुलर इनकम के साथ लचीलापन भी है। इसके अलावा, स्कीम में पूरी तरह से पूंजी की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।

किस तरह से रिटायरमेंट प्लानिंग में मददगार है SWP

जिन निवेशकों ने अपनी रिटायरमेंट सेविंग की प्लानिंग म्यूचुअल फंड के जरिये की है, उन्हें रिटायरमेंट के वक्त इस बात को लेकर दुविधा का सामना करना पड़ता है कि ग्रोथ और इनकम सुनिश्चित करते हुए इन सेविंग्स को कैसे मैनेज किया जाए। SWP इन फायदों के साथ इस समस्या को सुलझाता है।

1. बाजार के उतार-चढ़ाव के खिलाफ सहारा: SWP यह सुनिश्चित करता है कि आपको एक बार में अपने पूरे निवेश की बिक्री नहीं करनी है। यह बात उतार-चढ़ाव वाले बाजारों में बेहद अहम है। अगर बाजार नीचे भी है, तो आप तत्काल सिर्फ कुछ युनिट्स की ही बिक्री करते हैं और बाकी पोर्टफोलियो के पास मार्केट के तेज होने के साथ-साथ रिकवरी का मौका होता है।

2. इनफ्लेशन के आधार पर इनकम: इनकम के पारंपरिक स्रोत मसलन पेंशन और फिक्स्ड डिपॉजिट में इनफ्लेशन पूरी तरह से कवर नहीं हो पाता है। ग्रोथ आधारित म्यूचुअल फंडो में निवेश कर आपके पोर्टफोलियो के पास इनफ्लेशन से आगे निकलने का मौका होता है और लंबे समय तक आपकी परचेजिंग पावर दुरुस्त बनी रहती है।

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