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इनकम टैक्‍स में बंपर छूट, रेट कट… फिर भी बाजार ऊपर जाने को क्यों नहीं तैयार? समझें

नई दिल्‍ली: पहले बजट में बंपर टैक्‍स कटौती। फिर छह साल में पहली बार रेपो रेट में 0.25% की कमी। यह और बात है कि बाजार पर इन दोनों बड़ी खबरों का कोई असर नहीं पड़ा। इन पर उसकी प्रतिक्रिया बेहद फीकी रही। बहुत से लोगों की समझ से यह बिल्‍कुल परे है। केंद्रीय बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग के लिए बड़ी टैक्स राहत का ऐलान किया गया। उम्मीद थी कि इससे निवेशकों का मनोबल बढ़ेगा। लेकिन, बाजार की प्रतिक्रिया ठंडी रही। उस दिन सेंसेक्स सिर्फ 5 अंक बढ़कर 77,506 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 26 अंक गिरकर 23,482 पर आ गया। ऐसे ही शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती की, जो छह साल में पहली कटौती थी। हालांकि, यह भी शेयर बाजार में जान फूंकने में नाकाम साबित हुआ। सेंसेक्‍स 198 अंक टूटकर 77,860.19 अंक पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 43.40 अंक फिसलकर 23,559.95 अंक पर पहुंच गया। इसे समझने की कोशिश करते हैं।

क्‍यों बंपर टैक्‍स छूट पर ठंडी रही प्रतिक्रि‍या?

पहले बजट 2025 की बात करते हैं। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स सिस्टम के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया। साथ ही, टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए ताकि मध्यम वर्ग को राहत मिल सके। विजडम हैच के संस्थापक अक्षत श्रीवास्तव के मुताबिक, टैक्स में कटौती लोगों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन इससे व्यापक आर्थिक विकास या निवेशकों का विश्वास नहीं बढ़ेगा। बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए हाल में उन्होंने अपने पोस्‍ट में लिखा था, ‘इससे यह एहसास होता है कि मध्यम वर्ग के लिए कम से कम ‘कुछ’ तो किया जा रहा है।’ उनका कहना था कि यह कदम रणनीतिक से ज्यादा प्रतीकात्मक है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर का कहना था कि बाजार की मिलीजुली प्रतिक्रिया वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय में साल-दर-साल केवल 10% की मामूली बढ़ोतरी के कारण है। यह उम्मीदों से कम रही, खासकर रेलवे, रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में।

रेट कट पर भी फीकी प्रत‍िक्र‍िया क्‍यों?

जहां तक आरबीआई के कदम का सवाल है तो बाजार ने इस कटौती को पहले से ही मान लिया था। इसलिए इसका शेयर बाजार पर बहुत कम असर पड़ा। वैश्विक कारकों, जैसे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों के कारण चल रहे व्यापार युद्ध ने भी बाजार में अनिश्चितता पैदा की।

आरबीआई ने बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रेपो रेट में 0.25% की कटौती करके उसे 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगभग दो साल तक ब्याज दरों को स्थिर रखने के बाद यह कटौती की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि MPC ने ग्रोथ को समर्थन देने के लिए तटस्थ रुख बनाए रखने का फैसला किया है। साथ ही महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप रखने पर फोकस किया है। RBI ने 2025-26 के लिए वास्तविक GDP विकास दर 6.7% रहने का अनुमान लगाया है।

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