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RBI ने घटाया रेपो रेट, क्या अब फाइनेंशियल शेयरों में करना चाहिए निवेश? जानें

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने करीब 5 सालों के लंबे अंतरात के बाद रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है। आमतौर पर, रेप रेटो में कटौती से बैंकों को फायदा होता है क्योंकि ब्याज दरें घटने से लोन की मांग बढ़ती है और फंडिंग लागत कम होती है। साथ ही बॉन्ड यील्ड्स में नरमी से ट्रेजरी लाभ भी मिलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में निवेश करने का सही समय है?

ब्याज दरों में कटौती का अभी शुरुआती दौर है। इस बार खास बात यह है कि बैंकों के लोन बुक में अब रिटेल लोन का बड़ा हिस्सा है, जो सीधे रेपो रेट से जुड़ा हुआ है। ऐसे में ब्याज दरों में बदलाव से इन लोन की दरों पर तुरंत असर पड़ेगा, जो ग्राहकों के लिए राहत भरी खबर है।

इसके अलावा, केंद्रीय बजट में मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में दिख गई राहत से उनकी आय में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे आने वाले दिनों में रिटेल लोन की मांग और बढ़ सकती है। यह इकोनॉमी में मांग को तेज कर सकता है और एक मजबूत मल्टीप्लायर इफेक्ट पैदा कर सकता है।

बैंकों के लिए चुनौतियां

हालांकि, यहां कुछ अहम चिंताएं भी हैं। क्रेडिट-टू-डिपॉजिट (CD) रेशियो फिलहल 80% के आसपास है, जबकि कई प्राइवेट बैंक 90% से अधिक पर चल रहे हैं। इससे बैंकों को अपनी ग्रोथ के लिए महंगे डिपॉजिट जुटाने पड़ सकते हैं। नेट इंटरेस्ट मार्जिन में लगातार गिरावट देखी गई है। अनसिक्योर्ड लोन की हिस्सेदारी घट रही है, जिससे इन लोन के इंटरेस्ट रेट में गिरावट आई है। बैंकों को अब सस्ते डिपॉजिट जुटाने में मुश्किल हो रही है, जिससे फंडिंग कॉस्ट बढ़ रही है।

मनीकंट्रोल प्रो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सबके बीच HDFC बैंक का ट्रेंड अलग रह सकता है। HDFC बैंक की कुल देनदारियों में उधारी की हिस्सेदारी 15% है, जो इसके बाकी प्रतिद्वंदियों के मुकाबले अधिक है। इसके अलावा, HDFC बैंक अब बाजार से ली गई महंगी उधारी को सस्ते डिपॉजिट से बदल सकता है, जिससे इसकी मार्जिन में सुधार होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हम Kotak Mahindra Bank को भी पसंद करते हैं क्योंकि हाल के सालों में यह अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन कर रहा था। इसके अलावा फेडरल बैंक और करुर वैश्य बैंक भी उसने अपनी पंसदीदा लिस्ट में शामिल किया है।

NBFCs को होगा फायदा?

बैंकों के मुकाबले, नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को (NBFCs) ब्याज दरों में कटौती से अधिक लाभ मिल सकता हैं। जिन NBFCs का लेंडिंग पोर्टफोलियो फिक्स्ड रेट पर आधारित है, उनके मार्जिन में सुधार होता हुआ दिख सकता है। हालांकि, जिन कंपनियों की अनसिक्योर्ड लोन में अधिक हिस्सेदारी है, वे बढ़ती क्रेडिट लागत के कारण लाभ नहीं कमा पाएंगी।

Bajaj Finance देश की सबसे बड़ी अनसिक्योर्ड लोन देने वाली कंपनी है। मनीकंट्रोल प्रो की रिपोर्ट में कहा गया है कि बजाज फाइनेंस के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि यह अब कम ब्याज वाले होम लोन जैसे सिक्योर्ड लोन की ओर बढ़ रही है, जिससे इसकी मार्जिन पर दबाव बना रहेगा। NBFCs सेगमेंट में मनीकंट्रोल प्रो की पंसद श्रीराम फाइनेंस (Shriram Finance) है। वहीं हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में इसे होम फर्स्ट (Home First), आधार (Aadhar) और रेप्को (Repco) पंसद है।

– मनीकंट्रोल रिसर्च

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