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अटैक पे अटैक… ट्रंप ने चीन के उड़ा दिए हैं होश, सहमे निवेशक क्‍या आंधी-तूफान की तरह भारत का रुख करेंगे?

नई दिल्‍ली: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर जंग छिड़ी हुई है। इस खींचतान का नतीजा दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता या व्यापार युद्ध हो सकता है। इस बीच विदेशी निवेशक चीनी शेयर बाजार से दूरी बना रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था की दिशा को लेकर पहले से ही निवेशक चिंतित हैं। विकास को रफ्तार देने के बीजिंग के प्रयासों से भी निवेशक निराश हैं। एक हफ्ते के लंबे ब्रेक के बाद चीनी शेयर बाजार ने व्यापार विवाद पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। अमेरिका ने चीन पर मंगलवार को 10% टैरिफ लगाया। यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी धमकियों से काफी कम था। चीन के जवाबी कदम भी सीमित थे।विश्लेषकों का कहना है कि बाजार की सुस्त गिरावट से पता चलता है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल की तुलना में निवेशक व्यापार युद्ध की आशंकाओं पर अधिक संतुलित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बुधवार को ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत को लेकर परस्पर विरोधी खबरें आईं। अमेरिका की ओर से चीन से डाक पार्सल स्वीकार करने पर अचानक रोक लग गई। इससे ई-कॉमर्स शेयरों पर असर पड़ा। ये सभी बातें निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं।

CA-Indosuez में एशिया के मुख्य रणनीतिकार फ्रांसिस टैन ने कहा कि अनिश्चितता का स्तर बढ़ गया है। कोई नहीं जानता कि वास्तविक व्यापार युद्ध शुरू हो गया है या कब होगा।

चीन में एक साथ कई समस्‍याएं

चीन के लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति संकट, महंगाई के दबाव और बीजिंग की ओर से प्रोत्साहन के वादों पर अमल न करने को लेकर वैश्विक निवेशक पहले से ही चीन की ग्रोथ संभावनाओं को लेकर चिंतित थे। एलएसईजी लिपर के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में विदेशी निवेशकों ने चीन फोकस्‍ड फंडों से लगभग 12 अरब डॉलर निकाले हैं। अक्टूबर में 13 अरब डॉलर के प्रवाह को यह लगभग उलट देता है। यह अनियमित प्रवाह मुनाफावसूली और टिकाऊ पूंजी की कमी की ओर इशारा करता है। इसके लंबे समय तक चीन में रहने के आसार हैं।

जेनस हेंडरसन में एशिया डिविडेंड इनकम के पोर्टफोलियो मैनेजर सत दुहरा ने कहा, ‘हम वास्तव में चीन में कुछ भी जोड़ना नहीं चाहते क्योंकि हमें लगता है कि इस समय यह ठीक है… कुछ और जोड़ने से शायद बहुत अधिक जोखिम होगा।’

निश्चित रूप से कुछ निवेशकों का कहना है कि चीनी बाजार अभी भी अपेक्षाकृत सस्ते हैं। स्टॉक चुनने के अवसर बहुत हैं। यूके स्थित ऑब्रे कैपिटल मैनेजमेंट के रॉब ब्रूइस ने कहा, ‘टैरिफ विवाद में फंसी किसी भी कंपनी के प्रति हमारा बहुत कम जोखिम है और इसलिए हम अपने पोर्टफोलियो को एडजस्‍ट नहीं करेंगे।’

क्या भारत को होगा फायदा?

इस स्थिति में भारत के लिए कई अवसर पैदा हो सकते हैं। चीन में अस्थिरता के कारण निवेशक भारत को एक सुरक्षित और आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में देख सकते हैं। इससे भारत में विदेशी निवेश बढ़ सकता है। इससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत को अपने निर्यात को बढ़ावा देने का मौका मिल सकता है। खासकर, उन क्षेत्रों में जहां भारत और चीन दोनों ही मजबूत प्रतिस्पर्धी हैं। दोनों देशों के बीच तनाव से भारत को अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिल सकता है।

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