Editor’s Take: केंद्रीय बजट 2025 के बाद भारतीय शेयर बाजार की चाल को लेकर निवेशकों और ट्रेडर्स में कई सवाल हैं. क्या यह बजट बाजार के लिए फायदेमंद साबित होगा? किन सेक्टर्स को इससे फायदा होगा और किन पर दबाव रहेगा? साथ ही, टैरिफ वॉर और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां बाजार की दिशा को कितना प्रभावित करेंगी? मार्केट गुरु अनिल सिंघवी से जानते हैं उनका Market Outlook
बजट 2025: बाजार के लिए क्या अच्छा रहा?
इस बजट में कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए सकारात्मक संकेत देते हैं. ₹12 लाख तक की आय पर टैक्स छूट दी गई है, जिससे मिडिल क्लास के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा और कंजम्प्शन सेक्टर को मजबूती मिलेगी. सरकार ने ₹11.2 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय (Capex) आवंटित किया है, जो कि मौजूदा हालात को देखते हुए एक अच्छा कदम माना जा सकता है. इससे इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी.
वित्तीय घाटे को नियंत्रण में रखने पर सरकार का ध्यान रहा है, जिससे विदेशी निवेशकों (FIIs) का विश्वास मजबूत हो सकता है. इसके अलावा, इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI को मंजूरी दी गई है, जो बीमा कंपनियों के लिए एक बड़ा पॉजिटिव है.
सरकार ने पॉपुलिस्ट बजट बनाने से बचते हुए अर्थव्यवस्था को संतुलित करने का प्रयास किया है और सबसे महत्वपूर्ण बात, निवेश से जुड़े किसी भी तरह के टैक्स नहीं बढ़ाए गए हैं
बजट 2025: बाजार के लिए क्या खराब रहा?
हालांकि, बाजार को इस बजट से थोड़ी ज्यादा उम्मीदें थीं, खासकर पूंजीगत व्यय (Capex) को लेकर. कई विशेषज्ञों का मानना था कि Capex ₹12 लाख करोड़ से अधिक होना चाहिए था, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों में तेजी आती. इसके अलावा, डिफेंस, रेलवे और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई. इन क्षेत्रों में निवेशकों को बड़े सुधारों की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
बजट के बाद किन शेयरों में करें खरीदारी?
बजट से जिन सेक्टर्स को फायदा होगा, उनमें सबसे पहले एंट्री-लेवल कंजम्प्शन (Entry-Level Consumption) और फर्स्ट-टाइम बायर्स वाले सेक्टर शामिल हैं.
इन सेक्टर्स में पॉजिटिव रहें:
टेक्सटाइल और रिटेल सेक्टर – इन सेक्टर्स में सरकार की नीतियों का सकारात्मक प्रभाव दिख सकता है.
लोअर मिडिल इनकम ग्रुप को सस्ता सामान बेचने वाली कंपनियां – इन कंपनियों को मिडिल क्लास के हाथ में ज्यादा कैश आने से फायदा होगा.
सस्ते इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और कार निर्माता कंपनियां – इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सरकार की नीति सकारात्मक बनी हुई है.
FMCG सेक्टर – टैक्स छूट से उपभोग बढ़ेगा, जिससे FMCG कंपनियों को लाभ मिलेगा.
रियल एस्टेट सेक्टर – टैक्स छूट से घर खरीदने वालों की संख्या बढ़ सकती है, जिससे इस सेक्टर में तेजी आ सकती है.
सरकारी बैंक – वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखने की नीति से PSU बैंकों को लाभ हो सकता है.
इंश्योरेंस सेक्टर – 100% FDI की अनुमति से बीमा कंपनियों को विस्तार का मौका मिलेगा.
बजट के बाद किन सेक्टर्स में करें पोजीशन कम?
बजट के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपिटल गुड्स सेक्टर पर दबाव रह सकता है, क्योंकि Capex उम्मीद से कम रखा गया है. डिफेंस और रेलवे सेक्टर में कोई खास ऐलान नहीं हुआ, जिससे इसमें गिरावट आ सकती है. स्टील सेक्टर पर दबाव रहेगा, क्योंकि सरकार ने कोई बड़ी औद्योगिक नीति घोषित नहीं की.
बाजार के लिए आगे के बड़े ट्रिगर्स
टैरिफ वॉर का असर – अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है.
RBI की मौद्रिक नीति – नए RBI गवर्नर की नीतियों पर नजर रहेगी, खासकर ब्याज दरों में कटौती को लेकर.
FIIs की बिकवाली – अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है, तो बाजार पर दबाव बन सकता है.
Q4 के नतीजे – अगर चौथी तिमाही के नतीजे कमजोर आते हैं, तो यह साफ हो जाएगा कि चुनावी कारणों से नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था में ही कमजोरी है.
Short, Medium और Long Term में बाजार की चाल
Short Term:
बजट के बाद शॉर्ट टर्म में बाजार स्थिर रह सकता है, क्योंकि निवेशकों को राहत मिली है कि कोई नकारात्मक घोषणा नहीं हुई.
22800-23000 के स्तर पर सपोर्ट मिलेगा, जबकि 23800-24000 की ऊपरी रेंज होगी.
हालांकि, ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स फिलहाल खरीदारी के मूड में नहीं हैं, क्योंकि टैरिफ वॉर और FIIs की बिकवाली का डर बना हुआ है.
Medium Term:
नए RBI गवर्नर की पहली नीति बाजार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी.
बजट से मजबूत वित्तीय नीति का संकेत मिला है, अब RBI की मौद्रिक नीति भी इसमें सहायक होनी चाहिए.
चौथी तिमाही के बचे हुए कॉर्पोरेट नतीजे भी बाजार की दिशा तय करेंगे.
Long Term:
मार्च तिमाही के नतीजे बाजार के भविष्य को तय करेंगे.
अगर Q4 के नतीजे मजबूत आते हैं, तो बाजार की गिरावट की संभावना बेहद कम होगी.
लेकिन अगर नतीजे कमजोर आए, तो यह साफ होगा कि स्लोडाउन लंबा चलेगा और बाजार में 2025 में स्थिरता नहीं दिखेगी.
निफ्टी के लिए 22000 का लोअर सपोर्ट और 25000 की अपर लिमिट होगी.
टैरिफ वॉर का असर: कितना डर, कितना असर?
टैरिफ वॉर पहले से तय था, लेकिन अब इसमें नई बात यह है कि चीन, मैक्सिको और कनाडा भी जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं. इससे डॉलर मजबूत होगा और दुनियाभर की करेंसी कमजोर हो सकती हैं. रुपया भी नए लोअर लेवल पर जा सकता है. अगर भारत पर भी टैरिफ लगे, तो FIIs की बिकवाली तेज हो सकती है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ेगा.
बजट बनाम ग्लोबल फैक्टर्स: कौन पड़ेगा भारी?
बाजार अब बजट को पचा चुका है. FIIs का बजट के दिन पार्टिसिपेशन कम रहा और अब ध्यान वैश्विक मुद्दों पर होगा. टैरिफ वॉर बाजार पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि निवेशक अभी भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं. अगर FIIs की बिकवाली बढ़ती है, तो भारतीय बाजार पर दबाव आ सकता है. अब देखना होगा कि बाजार इन चुनौतियों का सामना कैसे करता है और आगे की रणनीति क्या होगी.