अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से दोबारा गद्दी पर बैठे है, हर दिन वह कुछ नया धमाका कर रहे हैं। आज भी, 3 फरवरी को उनके एक फैसले से पूरे ग्लोबल मार्केट्स में खलबची मची रही। भारत का शेयर बाजार भी गिरावट के साथ बंद हुआ। हुआ ये है कि ट्रंप ने तीन देशों- कनाडा, मैक्सिको और चीन पर फिर से टैरिफ लगा दिया है। कनाडा और मैक्सिको पर उन्होंने 25% और चीन पर 10% टैरिफ का ऐलान किया है। इससे आज पूरा ग्लोबल शेयर मार्केट्स कांप गया। लेकिन यहां असल सवाल यह है कि आखिर भारत पर, और खासतौर से भारत की इकोनॉमी और उसके शेयर मार्केट पर ट्रंप के इन ऐलानों से क्या असर पड़ेगा। क्या इसमें नुकसान होगा या फिर कुछ फायदे वाली भी बात है?
डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का भारत पर 2 बड़ा असर पड़ सकता है। इसमें एक खबर अच्छी है और दूसरी बुरी। अच्छी खबर यह है कि ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा के साथ-साथ चीन पर भी टैरिफ लगाया है। इससे इन तीनों देशों से अमेरिका में जाने वाले समान महंगे हो जाएंगे। इसका सीधा असर यह होगा कि जिन अमेरिकी कंपनियों ने अभी तक चीन, मैक्सिको, कनाडा से समान खरीद रही हैं और उन्हें अब सस्ते समान के लिए नए सप्लायर्स की तलाश करनी पड़ेगी। वैसे भी पिछले कुछ सालों से भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, और ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत अब अधिक से अधिक उत्पादन भारत में शिफ्ट होने की संभावना बढ़ गई। ऐसे में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को यहां पर बड़ा फायदा मिल सकता है।
लेकिन यहां पर कुछ चिंताएं भी है। कनाडा और मैक्सिको ने भी अमेरिका पर टैरिफ से जुड़ी जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है। चीन ने तो अमेरिका के इस फैसले को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में चुनौती देने की बात कही है। इन सबके चलते वैश्विक स्तर पर एक ग्लोबल ट्रेड वार शुरू होने की आशंका बढ़ गई है। अगर ऐसा होता है, तो अभी पूरी दुनिया में जैसे समानों की आवाजाही है, उसमें रुकावटें आ सकती है।
इससे भारत में भी महंगाई बढ़ने की आशंका है क्योंकि कई जरूरी कंपोनेंट्स और कच्चा माल हम अभी भी विदेशों से ही आयात करते हैं। ऐसे में अगर इनकी कीमतें बढ़ती हैं, तो जाहिर सी बात हैकि घरेलू इंडस्ट्रीज पर दबाव पड़ेगा।”
दूसरा असर यह है कि ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में मजबूती आ सकती है, जो शेयर बाजार के लिए बुरी खबर है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में मजबूती का मतलब है कि विदेशी निवेशक भारत में बिकवाली करना जारी रखेंगे। जब डॉलर मजबूत होता है, तो विदेशी निवेशक भारत जैसे इंमर्जिंग मार्केट्स से से पैसा निकालकर अमेरिकी एसेट्स में निवेश करते हैं। यही कारण है कि भारतीय शेयर बाजारों से लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है।
अक्टूबर से अब तक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। अगर डॉलर मजबूत बना रहता है, तो यह ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है।
इस सबके बीच भारतीय रुपये की वैल्यू में गिरावट भी एक अहम मुद्दा है। सितंबर से अब तक डॉलर इंडेक्स 100 से बढ़कर 110 तक पहुंच गया है, और इस दौरान भारतीय रुपया भी 83.8 से गिरकर 87.16 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पर आ गया है। वैसे बाकी इमर्जिंग देशों की करेंसी में आई गिरावट के मुकाबले, भारत की गिरावट कम है। लेकिन फिर भी यह इतना है कि इससे इंपोर्ट महंगा हो सकता है और महंगाई का दबाव बढ़ सकता है।”
“हालांकि, भारत के लिए एक राहत भरी खबर भी है! भारत अभी तक अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में नहीं है। अभी तक हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ट्रंप ने चीन को रोकने के लिए BRICS देशों पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी और भारत ब्रिक्स संगठन का एक अहम सदस्य देश है। लेकिन फिलहाल ट्रंप ने सिर्फ चीन पर ही टैरिफ लगाया है, जिससे नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच व्यापारिक संबंधों को सुधारने का मौका मिल सकता है। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मौके का कैसे फायदा उठाती है।
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