Budget 2023: स्टॉक मार्केट में 31 जनवरी को लगातार चौथ दिन तेजी दिखी। अब मार्केट की उम्मीदें 1 फरवरी को पेश होने वाले यूनियन बजट से बढ़ गई हैं। सरकार यूनियन बजट में इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के उपायों का ऐलान कर सकती है। कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स रेट्स में कमी की जा सकती है। सरकार खर्च बढ़ाने और फिस्कल कंसॉलिडेशन के बीच संतुलन बनाने की भी कोशिश करेगी। सरकार के ऐलानों का स्टॉक मार्केट्स पर असर पड़ेगा।
बजट के दिन मार्केट में बड़ा उतारचढ़ाव
आम तौर पर बजट में होने वाले ऐलान पर स्टॉक मार्केट्स की करीबी नजरें रहती हैं। इसलिए बजट के दिन स्टॉक्स मार्केट में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिलता है। निफ्टी कभी ऊपर जाता है तो कभी तेजी से नीचे आता है। जहां तक बजट के बाद के हफ्तों का सवाल है तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्टॉक मार्केट में स्थिरता दिखेगी, क्योंकि बाजार पर पहले ही संभावित ऐलान का असर पड़ चुका है।
पहले हफ्ते में 1.1 फीसदी का औसत रिटर्न
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट के मुताबिक, बजट के बाद के हफ्ते में Nifty 50 का औसत रिटर्न 1.1 फीसदी है। यह अगले दो हफ्तों में घटकर 0.6 फीसदी रह जाता है। लेकिन, बजट के बाद के चार हफ्तों में औसत रिटर्न माइनस 0.9 फीसदी है। इसके लिए 2015 से पेश हुए बजट के बाद निफ्टी की चाल का विश्लेषण किया गया है। हालांकि, यह सिर्फ एक विश्लेषण है। यह भविष्य में निफ्टी के ट्रेंड की गारंटी नहीं है।
मार्केट ट्रेंड बदलने में बजट का बड़ा हाथ नहीं
2020 में बजट पेश होने के बाद करीब 2 महीनों तक मार्केट में गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, इसमें कोविड की महामारी का हाथ था। 2013 में मार्केट में एक महीने और तीन महीनों में तेज रिकवरी देखने को मिली थी। बजट से पहले मार्केट में गिरावट का रुख था। जुलाई 2024 में बजट पेश होने के बाद एक महीने तक मार्केट में तेजी दिखी थी। लेकिन, उसके बाद मार्केट में स्थिरता रही। इस तरह स्पष्ट ट्रेंड नहीं दिखने से यह माना जा सकता है कि बजट का मार्केट के ट्रेंड को बदलने में ज्यादा योगदान नहीं रहता है।
पिछले साल अक्टूबर से मार्केट में जारी है गिरावट
एनालिस्ट्स का कहना है कि बजट के दिन मार्केट पर पड़ने वाला असर शॉर्ट टर्म का होता है। मार्केट का लॉन्ग टर्म ट्रेंड आम तौर पर ग्लोबल मार्केट के ट्रेंड पर निर्भर करता है। हालांकि, बीते कुछ सालों में वैश्विक बाजारों का इंडियन मार्केट पर सीमित असर देखने को मिला है। पिछले साल सितंबर के अंत में इंडियन मार्केट के प्रमुख सूचकांक अपने ऑल-टाइम हाई पर थे। उसके बाद अक्टूबर से मार्केट में गिरावट शुरू हुई। इसकी वजह विदेशी बाजार नहीं बल्कि घरेलू बाजार की प्रॉब्लम रही है। इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन काफी बढ़ गई थी। दूसरा, कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ खराब थी।