आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में एक अहम चेतावनी दी गई है। अगर अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो इसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ सकता है। इसका कारण है अमेरिका में ऊंची वैल्यूएशन और पॉजिटिव मार्केट सेंटिमेंट्स। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर भारत में बाजार गिरता है, तो नए और युवा निवेशकों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।
नए निवेशकों के लिए खतरे की घंटी
कोविड-19 महामारी के बाद बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में एंट्री की है। इनमें से कई निवेशक अब तक कभी लंबी या बड़ी गिरावट नहीं देख पाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 2025 में बाजार में करेक्शन आता है, तो इससे निवेशकों की भावनाएं और उनकी खर्च करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार और अमेरिकी शेयर बाजार के बीच गहरा संबंध है। निफ्टी 50 और S&P 500 के बीच ऐतिहासिक तौर पर एक मजबूत कनेक्शन देखा गया है। साल 2000 से 2024 के बीच जब भी S&P 500 में 10% से ज्यादा की गिरावट आई, निफ्टी 50 ने 22 में से 21 बार निगेटिव रिटर्न दिया। औसतन निफ्टी में 10.7% की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, जब निफ्टी 50 में 10% से ज्यादा की गिरावट आई, तब S&P 500 ने 51 में से 13 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया।
अमेरिकी बाजार का जलवा जारी
अमेरिकी बाजार लगातार दूसरी साल शानदार प्रदर्शन कर रहा है। इसका श्रेय Apple, Microsoft, Amazon, Alphabet और Nvidia जैसी बड़ी टेक कंपनियों को जाता है। इन कंपनियों के दम पर S&P 500 टॉप 10 इंडेक्स में इस साल अब तक 40% से ज्यादा की बढ़त हुई है।
2023 में S&P 500 ने 24% का रिटर्न दिया और 2024 में भी यह 20% से ज्यादा का रिटर्न देने की राह पर है। पिछले दो सालों में अमेरिकी बाजार 56% की बढ़त दर्ज कर चुका है, जो इसके बराबर वेट वाले इंडेक्स से दोगुनी है।
ब्याज दरों में कटौती पर अनिश्चितता
अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती को लेकर मिलेजुले संकेत दिए हैं। पहले जहां 2025 में 100 बेसिस पॉइंट कटौती की उम्मीद थी, अब इसे घटाकर 50 बेसिस पॉइंट कर दिया गया है। हाल ही में फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखा गया। हालांकि, फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने साफ कर दिया कि मार्च 2025 में दरों में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
वैल्यूएशन का जोखिम
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में एक और महत्वपूर्ण चेतावनी दी गई है। अमेरिकी बाजार की वैल्यूएशन अब अपने तीसरे सबसे ऊंचे स्तर पर है, जो शिलर S&P 500 CAPE रेशियो से पता चलता है। इसका मतलब है कि बाजार में गिरावट की आशंका बढ़ गई है, जिससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
भारत के निवेशकों को क्या करना चाहिए?
आर्थिक सर्वेक्षण में साफ कहा गया है कि भारतीय शेयर बाजार में आने वाली संभावित गिरावट को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ऐसे में निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और जल्दबाजी में कोई बड़ा फैसला नहीं करना चाहिए। खासतौर पर उन निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए जो महामारी के बाद बाजार में आए हैं।